राजनगर (Pitambar Soy) सोमवार को माझी परगना महाल बखुल (कुचुंग दिशोम) की एक आपातकालीन बैठक राजनगर के आरसीएम स्कूल परिसर में की गई. जिसमें मारंगबुरू पारसनाथ पर आदिवासी संताल समुदाय के खिलाफ केंद्र व राज्य सरकार द्वारा एकतरफा कार्रवाई करते हुए जैन समुदाय के पक्ष में फैसले का पुरजोर विरोध किया और इसकी कड़ी निंदा की गई.
बैठक को संबोधित करते हुए माझी परगना के बाबाओं ने कहा कि मारंगबुरू जुग जाहेर धरमगढ़ पारसनाथ आदिकाल से ही संताल समुदाय का है, और रहेगा. पहाड़ के ऊपर तलहटी में और नीचे भी कई संताल एवं मूलवासी आदिवासियों का गांव स्थित है. हम प्रकृति पूजक है संताल समुदाय द्वारा पहाड़ को ही मारंगबुरू मानते हैं और पूजा करते हैं, उसी पहाड़ी को मारांग बुरु कहते हैं मरांग बुरु ही हमारा सर्वश्रेष्ठ देवता है. हम हमारे ईष्ट देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं और जैन समुदाय भी उसी क्षेत्र में रहकर मोक्ष प्राप्त किए हैं. और अब तक शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं. परन्तु जैन समुदाय द्वारा इस तरह का विवाद खड़ा करना सामाजिक समरसता को बिगाड़ने का काम करना समझ से परे है. माझी परगना ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम प्रकृति पूजक संथाल समाज एवं आदिवासी मूलवासी जैन समुदाय, राज्य सरकार, केंद्र सरकार, राज्य के एमएलए- एमपी और दुनिया वालों को आगाह करना चाहते हैं कि मारंगबुरू पारसनाथ हमारा धार्मिक स्थल सर्वोच्च स्थान है. मारंगबुरू को किसी तरह की छेड़छाड़ करने का गलती ना करें. पारसनाथ मारंगबुरू के इर्दगिर्द बसे गांव के आदिवासियों के सामाजिक धार्मिक परंपरा एवं व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ ना करें, अन्यथा आदिवासी समाज मार्शल लॉ लागू करेगी. मारंगबुरू को बचाने के लिए समाज किसी भी हद तक जाएगी. मारंगबुरू से छेड़छाड़ करने वाले आदिवासियों के चुआड़ विद्रोह, संताल विद्रोह एवं कोल विद्रोह के इतिहास को स्मरण करें.
वहीं सभी आदिवासी सामाजिक धार्मिक संगठनों से 10 जनवरी को सुबह ग्यारह बजे गिरिडीह जिला के पीरटंड ब्लॉक के मधुबन फुटबॉल मैदान में सभी संगठनों को एकत्रित होने का आह्वान किया है जिसमें राजनगर से भी शामिल होंगे. जहां सरकार के इस एकतरफा फैसले का पुरजोर विरोध करेंगे.