सरायकेला (Pramod Singh) श्रीमद भागवत महापुराण के चतुर्थ दिवस श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. श्री कृष्ण जन्म होते ही भक्तगण जमकर नाचे- झूमे. पूरी द्वारिका नगरी कृष्णमय हो गयी.
श्री कालूराम सेवा ट्रस्ट एवं नारायण सेवा संस्थान उदयपुर द्वारा होटल देवांग द्वारिका में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा सुनाते हुए व्यास जी महाराज ने सूर्यवंश एवं चंद्रवंश के राजाओं की कथा का वर्णन किया.
कथाव्यास ने भगवान राम के जन्म, वनगमन, रावण वध एवं राज्याभिषेक की कथा का संक्षिप्त वर्णन किया. भगवान के चतुर्भुज रूप को देखकर मां कौशल्या ने निवेदन किया कि आप शिशु स्वरूप धारण कर पुत्र सुख का आनंद दीजिए. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में राम का चरित्र मानव के कल्याण के लिए अत्यंत आवश्यक है.
कथा के चौथे दिन व्यास ने दसवें स्कंध का प्रारम्भ किया. भगवान श्रीकृष्ण के मंगल चरित्र का गुणगान किया गया. शास्त्री ने बताया कि कंस अपनी बहन देवकी से अत्यंत प्रेम करता था और कंस ने देवकी का विवाह वसुदेव से बड़ी ही धूमधाम से किया लेकिन जब वह देवकी और वसुदेव को रथ पर छोड़ने जा रहा था तब ही आकाशवाणी हुई कि देवकी के गर्भ से जन्मा आठवां पुत्र उसका काल होगा. यह भविष्यवाणी सुनकर कंस ने दोनों को जेल में डाल दिया लेकिन भगवान की महिमा से भादो की अष्टमी को श्री कृष्ण जेल में प्रकट हुए. उसके बाद वेदव्यास महाराज ने वसुदेव द्वारा यमुना नदी पार कर गोकुल में नंद के घर में पहुँचने का मनोहारी वर्णन किया.
श्री कालुराम सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा बाजे- गाजे के साथ द्वारकाधीश मंदिर से हुआ कलश यात्रा द्वारकाधीश के मुख्य मंदिर की परिक्रमा कर जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए कथा स्थल होटल देवांग पहुंची थी. कथा के चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई. कथा सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए. उन्होंने कहा कि जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ जेल के ताले टूट गए, पहरेदार सो गए. वासुदेव देवकी बंधनमुक्त हो गए. प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है. कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते है.
चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया. नन्हें बालक को कृष्ण के रूप में सजाकर पंडाल में लाते ही जय कन्हैयालाल के जयकारे गूंज उठे. भक्तों ने बाल कृष्ण को दुलार किया। भगवान को माखन- मिश्री का भोग लगाकर आरती की गई. कथा वाचक ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर उनके जन्म का उद्देश्य भी बताया. भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी यमुना पार करके इन्हें गोकुल पहुंचा दिया, वहां यशोदा के यहां पैदा हुईं, शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आए, श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गीत पर एवं संगीतकारों द्बारा सुंदर भजनों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया.
कथा के यजमान सुनीता कालूराम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी द्वारा सप्तनिक भागवत जी एवं व्यास जी का पूजन कर भव्य आरती की गई माखन मिश्री का भोग लगाकर एवं भंडारा के साथ आज चौथे दिवस की कथा संपन्न हुई. भागवत कथा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रवण लाभ लिया. कथा का सीधा प्रसारण वैदिक चैनल पर प्रसारित हो रहा है कथा का श्रवण क्षेत्र के हजारों लोग कर रहे हैं. द्वारकाधीश में मुख्य रूप से बनवारी लाल चौधरी, सीताराम सेक्सरिया, संजय कुमार चौधरी, गौरंगो सिंह मोदक, प्रशांत महापात्र, अजित मोदक, किरौडी मल खेतान, दशरथ खेतान, रविंदर अग्रवाल, ललित चौधरी, विष्णु अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल प्रदीप अग्रवाल विशाल अग्रवाल, संजय चौधरी नटराज मोदक मारुति सिंगोदिया अनिल सरायवाला शंकर मित्तल पवन खिरवाल किशन सराफ नरेश सराफ सुशील लोहिया चिरंजीवी महापात्र किशोर कांवटिया टूना कवि विक्की सतपथी मानू सतपथी एवं काफी संख्या में महिला एवं बच्चे शामिल है.
Reporter for Industrial Area Adityapur