जमशेदपुर (राजन सिंह)
रंगरेट महासभा के बैनर तले पंजाब में चेतना मार्च से लौट रही संगत को यात्रा में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शुक्रवार को संगत जलियांवाला बाग ट्रेन से टाटानगर के लिए रनाना हुई है. बताया जाता है कि बड़ी संख्या में संगत को ट्रेन में बैठने तक की जगह नहीं मिली है. सारी रात संगत कभी शौच के पास खड़े होकर तो कभी एक कोच से दूसरी कोच में घूम- घूम कर सफर करने को मजबूर रही.
महिलाओं, युवतियों के साथ बुजुर्गों को खासा परेशानी हुई. इन सब कारणों को लेकर ट्रेन में लोग महासभा के प्रधान मंजीत सिंह गिल पर पक्षपात का आरोप लगाने लगे. संगत में शामिल मलकीत कौर ने बताया कि जमशेदपुर से जाने के दौरान भी संगत परेशान रही. मंजीत सिंह खुद एसी में आराम से गए. लौटने में भी एसी में आए. जब वे इतनी बड़ी संख्या में लेकर संगत को गए हैं तो उनका ख्याल रखना भी फर्ज बनता था. वह केवल सरोपा व अपना चेहरा दिखाने के लिए गए थे. मलकीत के अलावा सुमन कौर ने भी कहा कि मंजीत अंकल घूमकर सब कुछ देखते रहे कि हम किस परेशानी में है. बावजूद व अनकेयर कर चले गए. बहुत पूछने पर वे टाल मटोल करते रहे कि अगले स्टेशन में सीट मिल जाएगी और एसी में चले गए. संगत को आरोप है कि टिकट का दाम देने पर भी उन्हें बर्थ नहीं दी गई. यहां तक कि संगत को लंगर भी मुहैया नहीं हुआ है. सीट नहीं मिलने से नाराज संगत ट्रेन से ही वीडियो बनाकर मंजीत पर आरोप प्रत्यारोप करने लगी और वीडियो को महासभा के जमशेदपुर में बैठे पदाधिकारियों को वायरल कर दिया.
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यहां से पदाधिकारियों ने संगत का मदद करने का प्रयास किया, लेकिन कोई बात नहीं बनी. अब मंजीत के खिलाफ संगत इस कदर भड़की हुई है कि टाटानगर में उन्हें घेरने की तैयारी की जा रही है. मालूम हो कि जमशेदपुर रंगरेटा महासभा के प्रधान मंजीत सिंह गिल का विरोध पिछले कुछ दिनों से ही हो रहा है. उनके स्वयंभू रूख के कारण महासभा के लोग अलग- थलग हो गए हैं. पिछले दिनों 31 अगस्त को टाटानगर स्टेशन से पंजाब रवानगी के दौरान महासभा के दो गुट खुलकर दिखाई दिए थे. यही नहीं उससे पहले केबुल टाउन के एक क्लब में भी महासभा के कार्यक्रम में संगत की भीड़ भी कम होना यह दर्शा रहा था कि मंजीत का विरोध होने लगा है.
उधर मंजीत सिंह ने कहा कि चार सौ की संख्या में संगत को लाकर ऐतिहासिक काम हुआ है. विरोधी बौखला गए हैं. सुरजीत सिंह खुशीपुर, हरजिंदर सिंह रिंकू झूठी अफवाह फैला रहे हैं. करमजीत सिंह कम्मे महासभा में हैं ही नहीं. रिंकू का क्या इतिहास है कालू बगान जाने पर पता चल जाएगा. मंजीत ने कहा कि कुछ सीटों को लेकर समस्या हुई थी. उसे सुलझा लिया गया है. संगत को लाने जाने में जो त्रुटियां हुई हैं उसे अगली बार नहीं होने दिया जाएगा, क्योंकि काम सीखने पर ही आता है. कई बच्चों का आने जाने में फाइन भरा. आनंदपुर साहिब के दर्शन कराए गए. यात्रा बहुत सफल हुई है. विरोधियों की दाल नहीं गलने देंगे.