गया (Pradeep Kumar) बोधगया से लगभग 45 किलोमीटर दूर बैजनाथपुर रेलवे गुमटी के समीप अमरपुर गांव में 131 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की भव्य मूर्ति का निर्माण कार्य जोर- शोर से चल रहा है. यह स्थान बोधगया से राजगीर जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे है. मूर्ति का निर्माण थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं द्वारा कराया जा रहा है.
भारत में भगवान बुद्ध की यह सबसे ऊंची मूर्ति है. जो ध्यान मुद्रा आसन में बन रही है. निर्माण कार्य पूरा करने को लेकर कारीगर दिन- रात तेज गति से कार्य में लगे हुए हैं. मूर्ति का निर्माण कार्य प्रसिद्ध शिल्पकार दीपक कुमार गौड़ के द्वारा कराया जा रहा है.
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इस संबंध में दीपक कुमार गौड़ ने बताया कि थाईलैंड के श्रद्धालुओं द्वारा इसके निर्माण कार्य की शुरुआत वर्ष 2013 में की गयी थी. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण 2 साल काम बंद रह गया था. अब फिर से काम शुरू हो गया है. उम्मीद है आगामी अक्टूबर माह तक काम पूरा कर लिया जाएगा. भारत के सबसे बड़े इस मूर्ति का निर्माण वट थाई नालंदा नामक बौद्धिस्ट संस्था द्वारा करायी जा रही है. जिसके लिए आर्थिक सहायता थाईलैंड के श्रद्धालुओं द्वारा की जा रही है. मूर्ति की बजट 15 करोड़ की है, जबकि इस पूरे मंदिर को 30 करोड़ की धनराशि से निर्माण किया जा रहा है. यह इलाका काफी पिछड़ा माना जाता है. बुद्ध मूर्ति निर्माण होने के बाद यहां पर श्रद्धालुओं की आवाजाही बढ़ेगी और आसपास के इलाके विकसित होंगे. स्थानीय लोगों को भी रोजगार मुहैया हो सकेगा. यह मूर्ति भगवान बुद्ध की आसन मुद्रा में है. उतरप्रदेश के मूर्तिकार इसका निर्माण कर रहे हैं. चुनार से मंगाए गए सैंड स्टोन से निर्मित हो रही है यह मूर्ति. मूर्ति बन जाने के बाद देश- विदेश के पर्यटक यहां आएंगे और पर्यटन के क्षेत्र में भी यह क्षेत्र विकसित होगा.
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दीपक कुमार गौड़ ( मूर्तिकार)
वही वट थाई नालंदा के मॉन्क्स इंचार्ज फ्रामहा फान ने बताया कि भगवान बुद्ध की यह मूर्ति आसन मुद्रा में है. जिसका बौद्ध धर्म में काफी महत्व है. भिक्षु ने बताया कि यह जगह राजगीर और बोधगया के बीच मे अवस्थित है. इस रास्ते गुजरने वाले श्रद्धालु यहां जरूर रुकेंगे और भगवान बुद्ध की प्रार्थना करेंगे. इसलिए यहां पर इस मूर्ति का निर्माण कराया जा रहा है. बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए बोधगया, राजगीर और नालंदा महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. जहां दुनिया के कोने- कोने से लोग पहुचते हैं. आने वाले समय में बुद्धिस्ट सर्किट में यह स्थान काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. भारत देश में बनने वाली यह भगवान बुद्ध की सबसे ऊंची मूर्ति होगी. विश्व के थाईलैंड, कंबोडिया, अमेरिका सहित कई देशों के श्रद्धालु जब इस रास्ते से गुजरेंगे तो यहां पर जरूर विश्राम करेंगे और भगवान बुद्ध की मूर्ति का अवलोकन करेंगे.
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फ्रामहा फान (थाई बौद्ध भिक्षु)
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