गालूडीह: उल्दा में चल रहे 8 दिवसीय देवी भागवत कथा के छठवें दिन शुक्रवार को कथा वाचक स्वामी हिदयानंद गिरी महाराज के प्रवचन सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. उन्होंने शिव अवतार के बारे में बताते हुए कहा एक बार ब्रम्हा जी को एक बच्चे की जरुरत थी तब उन्होंने इसके लिए तपस्या की.
तभी अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए. ब्रह्मा ने बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उसका कोई नाम नहीं हैं. इसलिए वह रो रहा है. तब ब्रह्मा ने शिव का नाम रूद्र रखा जिसका अर्थ होता है रोने वाला. ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी कारण था. विष्णु पुराण में लिखा हैं जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था. तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे. तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए. जब ये दोनों देव सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए. ब्रह्मा ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया. तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई. ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा. शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया था.