सरायकेला: भ्रष्टाचार मुक्त शासन के सरकार के दावे के बीच ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार के लिए अपना रास्ता पहले से तैयार कर लेते हैं. वैसे भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा तब होता है जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अचानक से प्रकट होकर अपनी कार्रवाई कर जाती है. ऐसा ही भ्रष्टाचार का मामला सरायकेला जिले के शिक्षा विभाग में सामने आया है. जहां शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जिले के निजी विद्यालयों को मान्यता प्रदान करने के नाम पर विभाग के अतिरिक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रकाश कुमार पर प्रति विद्यालय 50 हजार से लेकर एक लाख तक की अवैध वसूली करने का आरोप लगा है. जिले के एक निजी विद्यालय द्वारा इस संबंध में बीते 22 जनवरी को उपायुक्त को की गई शिकायत के आधार पर झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा संज्ञान लिया गया है. जिसके आलोक में परिषद के प्रशासी पदाधिकारी जयंत कुमार मिश्र ने जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला समग्र शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सच्चिदानंद द्विवेदी तिग्गा को पत्र लिखकर मामले की जांच का निर्देश दिया है. साथ ही मामले की अविलंब जांच करते हुए राज्य कार्यालय को जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा गया है. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है. जल्द ही इसकी रिपोर्ट झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद को उपलब्ध करा दी जाएगी. बताया जाता है कि एक निजी विद्यालय द्वारा उपायुक्त को की गई शिकायत में बताया गया था, कि एडीपीओ प्रकाश कुमार द्वारा आरटीई के तहत निजी विद्यालयों को मान्यता प्रदान करने के लिए 50 हजार से लेकर एक लाख तक की मोटी रकम की माग की गई थी जिसमें उनके द्वारा उक्त रकम जिले के उपायुक्त, उप विकास आयुक्त और जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा मांग किए जाने की बात कहीं गई है. मान्यता के लिए जिले के 50 से अधिक निजी विद्यालयों द्वारा आवेदन जमा किए जाने के बाद भी मात्र 28 विद्यालयों को ही मान्यता उपलब्ध कराया गया. साथ ही तथाकथित उनके चहेते 15 निजी विद्यालयों को समिति के समक्ष रखकर मान्यता दिलाई गई. वैसे ये जांच का विषय है, कि स्थलीय जांच करा चुके अन्य कई अच्छे-अच्छे निजी विद्यालयों को मान्यता से दूर रखा गया है. शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया है, कि प्रकाश कुमार द्वारा दूरभाष के माध्यम से निजी विद्यालयों के अध्यक्ष एवं सचिव को डरा- धमका कर अपने कार्यालय में बुलाकर राशि की मांग की गई. जिसकी जांच मोबाइल के कॉल डिटेल से की जा सकती है. बताया गया कि मान्यता प्रदान किए गए निजी विद्यालयों में से गम्हरिया प्रखंड के एक निजी विद्यालय का जमीन संबंधी विवाद रहा है. जिसे तत्कालीन शिक्षा सचिव आराधना पटनायक द्वारा भी जांच के दायरे में रखकर मान्यता संबंधी आवेदन को रिजेक्ट कर दिया गया था. शिकायतकर्ता ने कहा है, कि वैश्विक महामारी कोविड-19 से सुरक्षा कारणों के कारण विद्यालय वर्तमान में बंद हैं. और विशेष कारणों से अपना नाम जाहिर नहीं करते हुए मामले की जांच करने और आवश्यक कार्रवाई कर अहर्ता पूरा करने वाले जिले के अन्य सभी निजी विद्यालयों को भी छात्र हित और शिक्षा हित में मान्यता प्रदान करने की मांग की थी.
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