झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के हाटगम्हरिया के कुईड़ा गांव में बीती रात दिल दहला देने वाली घटना घटित हुई है. हालांकि इसकी जानकारी रविवार सुबह उस वक्त मिली जब मौके पर पुलिस पहुंची. दरअसल बीती रात कूईड़ा गांव में जो घटना घटित हुई उससे साफ पता चलता है, कि झारखंड अभी बदला नहीं है. बताया जाता है कि शनिवार देर रात दो लोगों ने 32 वर्षीय विधवा शांति सुंडी की गला रेतकर हत्या कर दी. हालांकि अगर गला रेत कर हत्या कर देने तक ही बात सिमट कर रह जाती तो इसे एक अपराध मान लेते, लेकिन बताया जा रहा है, कि शांति सुंडी मौत से पहले अपने चार बच्चों के साथ गांव के हर चौखट पर अपनी जान की फरियाद लगाने पहुंची, लेकिन किसी ने उसे सहारा नहीं दिया. हत्यारों ने उसे पीट-पीटकर अधमरा कर दिया और जब उनका जी नहीं भरा तो दरिंदों ने धारदार हथियार से गला रेत कर उसकी हत्या कर दी. इतना ही नहीं हत्या के वक्त शांति सुंडी की बेटी पिंकी सुंडी अपनी मां से लिपटी हुई थी. हत्यारों को इस पर भी दया नहीं आई. अंततः एक ग्रामीण के चौखट पर शांति सुंडी ने दम तोड़ दिया. कहां है बदलता झारखंड ? कहां है समाज.. किस गांव की दुहाई देते हैं हम झारखंडी… जब एक विधवा महिला की जान बचाने एक भी ग्रामीण घर से बाहर न निकल सका, तो अपने जल- जंगल और जमीन की रक्षा करने की बात हम क्या करें वैसे मामले की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने दो आरोपियों बुंदिराम बिरूवा और माटा सुन्डी को गिरफ्तार कर लिया है. शांति सुंडी मौत के पहले अपने चार बच्चों के साथ गांव में इधर-उधर भागती रही और लोगों से बचाने की गुहार लगाती रही, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए सामने नहीं आया, आखिरकार उसने एक घर के दरवाजे के सामने दम तोड़ दिया.

हादसे में क्षतिग्रस्त बाइक नहीं खरीदी तो कर दी शांति की हत्या
अब तक की जांच में जो हत्या का कारण आया है वह भी अजीबोगरीब है. शांति सुंडी के पति सोनाराम सुंडी उर्फ गमन सुंडी की 2017 में बाइक हादसे में मौत हो गई थी. घटना के समय वह अपने दोस्त चोकरो सुंडी की बाइक चला रहा था. हादसे में बाइक पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. चोकरो सुंडी का चाचा माटा सुंडी जबरन उस क्षतिग्रस्त बाइक को खरीदने का शांति सुंडी पर दबाव बना रहा था. शांति सुंडी के दो बेटे और दो बेटियां हैं. वह बाइक खरीदने में असमर्थ थी. इसी से नाराज होकर माटा सुंडी और उसके साथी बुंदिराम बिरूवा ने इस इस लोमहर्षक वारदात को अंजाम दिया. दोनों आरोपियों ने गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में अपनी गलती स्वीकार कर ली है.
वारदात के समय छोटी बेटी पिंकी मां से लिपटी रही, खून से हो गई लतपथ
मिली जानकारी के अनुसार, घटना के समय विधवा शांति सुंडी अपने चारों बच्चों के साथ सोने की तैयारी कर रही था. उसी दौरान अरोपी बुंदिराम और माटा आया. बच्चों को दूसरी तरफ भेज दिया और शांति को खटिया पर लिटाकर चाकू से गला रेत दिया. उस दौरान छोटी बेटी पिंकी सुंडी अपनी मां से लिपटी हुई थी. मां के गले से निकले खून से वह पूरी तरह लतपथ हो गई. वारदात को अंजाम देकर दोनों आरोपी वहां से फरार हो गए. दूसरी ओर, मौत से जूझ रही शांति सुंडी लोगों की मदद के लिए करीब 700 मीटर तक गांव में दौड़ लगाती रही, अंततः उसने रामसिह खंडाईत के घर के बाहर गिर गई और वहां उसकी मौत हो गई. घटनास्थल पर बड़ी बेटी सुमिला लक्ष्मी सुन्डी, बेटा गगन सुन्डी और छोटी बेटी पिंकी सुंडी रोते बिलखते हुए लोगों से मदद मांग रही थी, लेकिन कोई सामने नहीं आया. वहीं, दूसरा बेटा दुम्बी सुंडी (10) दौड़ते हुए अपने चाचा नरकांत सुंडी को बुलाने नीचे टोली चला गया. चाचा जब तक घटनास्थल पहुंचे शांति की मौत हो चुकी थी. इसकी खबर थाना को दी गयी. खबर मिलते ही थाना प्रभारी बालेश्वर उरांव घटनास्थल पहुंचे और शव को अपने कब्जे में लेकर रविवार को पोस्टमार्टम के लिए चाईबासा भेजा. इस लोमहर्षक वारदात के बाद शांति के चारों छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो गए हैं.
