चाईबासा/ Jayant Pramanik भारत विकसित देशों में शुमार होने की कतार में खड़ा है. मगर आज विकसित भारत की एक ऐसी तस्वीर आपको दिखाने जा रहे हैं जो ये बताने के लिए पर्याप्त है कि भारत कितना विकसित हो चुका है. ये वही भारत है जहां बुलेट ट्रेन के सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं. ये वही भारत है जहां 21 वीं सदी में शव ढोने के लिए सड़क के अभाव 11 मिलीमीटर तक शव को ढोना पड़ रहा है. जी हां…
सिंहभूम संसदीय क्षेत्र का एक ऐसा इलाका जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंचा है. जहां आज भी एक अदद सड़क ग्रामीणों को मय्यसर नहीं है. अब आप समझ गए होंगे कि मोदी के नाम के बावजूद गीता कोड़ा इस संसदीय सीट से क्यों हारी. जबकि वे सीटिंग सांसद थीं. क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि जनता विकास के मुद्दों पर वोट करेगी और उन्होंने विकास का कोई पैमाना तय किया ही नहीं है.
पश्चिम सिंहभूम जिले में आज भी दूर दराज एवं दुर्गम जंगल क्षेत्र में चलने के लिए सड़क तक नहीं है. जिसका खामियाजा यहां के स्थानीय ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. गुरुवार को गुदडी प्रखंड के तूजूर गांव की एक 22 वर्षीय महिला सिलवंती नाग की मौत मलेरिया से रांची रिम्स में हो गई थी. ग्रामीणों ने उसके शव को कोलेड़ा तक सवारी गाड़ी से लाया. वहां से रास्ता नहीं होने के कारण 11 किलोमीटर पैदल शव को बक्से में रख कर 6 आदमी लकड़ी के सहारे ढ़ोकर तुजुर गांव पहुंचे. पोडेंगेर निवासी बासु बोरजो ने बताया कि मृतक अनूप नाग की पत्नी थी. उसका विवाह 2 वर्ष पहले ही हुआ था, मगर अस्पताल की कमी एवं सही समय पर इलाज नहीं होने के कारण उसकी मौत हो गई. उन्होंने कहा कि शव को ले जाने के लिए रास्ता नहीं होने के कारण 6 ग्रामीणों को पैदल ही शव को ढोकर मृतक के घर तक पहुंचना पड़ा. उन्होंने कहा यहां सड़क निर्माण की मांग वर्षो से की जा रही है. मगर अब तक यहां सड़क नहीं बन पाया है. जिसका खामियाजा यहां के स्थानीय ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा विगत दिनों पोडेंगेर में सड़क निर्माण को लेकर बैठक भी की गई थी. यहां सांसद महोदय जोबा मांझी को बुलाया भी गया था. उनके स्थान पर उसके पुत्र जगत मांझी आए थे. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि पोडेंगेर से गुदड़ी तक 35 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराया जाएगा. मगर अब तक सड़क नहीं बन पाया है. उन्होंने कहा यह सड़क बन जाने से सैकड़ो गांव के लोगों को इसका लाभ मिलेगा. घनघोर जंगल क्षेत्र होने व सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को शव को ले जाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा. बासु बोरजो ने सरकार से मांग किया कि बंदगांव में भी एक भव्य अस्पताल का निर्माण कराया जाए. जिससे यहां के स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिल सके. उन्होंने कहा यहां के अस्पताल में उचित संसाधन नहीं होने के कारण लोगों को इलाज के लिए रांची जाना पड़ता है. मगर गरीब क्षेत्र होने के कारण समय पर मरीज का इलाज नहीं हो पाता है जिससे दर्जनों ग्रामीण की मौत हो चुकी है. सरकार इस ओर ध्यान दें और सभी ग्रामीण क्षेत्र की सड़क को मुख्य सड़क से जोड़ा जाए.