पश्चिमी सिंहभूम जिले के तांतनगर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में 14 वें वित्त आयोग की राशि से निर्मित सोलर जलमीनार इन दिनों खराब पड़ी हुई है. खराब जलमीनार लोगों के लिए सफेद हाथी साबित हो रही है. प्रखंड के कोकचो, तांतनगर, चिटीमिटी समेत अन्य पंचायत के विभिन्न स्थानों पर बने जलमीनार बीते कई माह से खराब है. पासुबेड़ा गांव में बने जलमीनार भी खराब पड़े हैं. इसके कारण लोगों को पीने के पानी के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पासुबेड़ा के कैरा पुरती, माटा पुरती, सामू पुरती, माटा पुरती, पांडू पुरती, बोरजो पुरती, मरकंडो पुरती, सिरु पुरती समेत कई लोगों ने बताया, कि पेयजल की समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 14 वें वित्त आयोग की राशि से गत वर्ष ही वेंडर के माध्यम से जलमीनार लगवाई गई थी. पंचायत के मुखिया ने तब जलमीनार बनने से लोगों को जल संकट से मुक्ति का भरोसा दिया था, लेकिन बीते तीन माह से जलमीनार खराब पड़ा है. पंचायत प्रशासन या संबंधित विभाग इसकी सुध नहीं ले रहा है, जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि इस टोला में पीने के पानी का एकमात्र साधन उक्त सोलर जलमीनार ही है. इसके खराब हो जाने से पानी के लिए इधर- उधर भटकना पड़ता है, जबकि उक्त जलमीनार से दर्जनों घरों के लोग पानी ले जाते थे, लेकिन जल मीनार खराब होने से लोगों को भारी दिक्कत हो रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है, कि जल मीनार बनाने में घोर अनियमितता बरती गई है. अनियमितता का आलम यह है कि निर्माण के साथ ही पाइप में लीकेज होना, नल में खराबी आ जाना और सोलर प्लेट का काम करना बंद कर देना आदि समस्याएं उत्पन्न हो गई है. जलमीनार के फाउंडेशन में भी मानकों की अनदेखी की गई है. बताया कि अधिक मुनाफा अर्जित करने के उद्देश्य से जलमीनार की गुणवत्ता के साथ समझौता किया गया है. प्रखंड के अन्य गांवों में बनी जलमीनारों की भी समस्या ऐसी ही है.
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