सोनुआ/Jayant Pramanik स्वास्थ्य विभाग की 108 एम्बुलेंस सेवा से मरीजों को गांव देहात से अस्पताल तक लाने में लोगों को काफी लाभ मिल रहा है, लेकिन कभी- कभी इसकी कार्यशैली और 108 हेल्पलाईन नम्बर के काफी व्यस्त रहने से मरीजों को समय पर ईलाज के लिये अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है और सही समय पर ईलाज नहीं होने से मरीजों की जान पर बन आती है.
ताजा मामला सोनुआ अस्पताल का है. जहां बोयकेड़ा गांव की एक गर्भवती महिला नंदी गागराई (32 वर्षीय) को प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार सुबह करीब नौ बजे स्वास्थ्य सहिया और परिजनों द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया. जहां डॉक्टर द्वारा महिला की जांच के बाद खून की कमी की समस्या को देखते हुए उसे तत्काल चाईबासा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया.
गर्भवती महिला को चाईबासा सदर अस्पताल ले जाने के लिये 108 एम्बुलेंस सेवा के हेल्पलाईन पर स्वास्थ्य सहिया द्वारा फोन किया गया. 108 एम्बुलेंस सेवा के हेल्पलाईन नम्बर पर बात भी हुआ, लेकिन एम्बुलेंस अभी उपलब्ध नहीं होने की बात कही गई. जिससे गर्भवती महिला को चाईबासा सदर अस्पताल ले जाने के लिये 108 एम्बुलेंस की सेवा नहीं मिला. दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान 108 एम्बुलेंस सोनुआ अस्पताल परिसर में ही खड़ी थी, बावजूद इसके गर्भवती महिला को इसकी सेवा नहीं मिली. अंततः प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला की समय पर ईलाज नहीं हो पाने से सोनुआ अस्पताल में ही मौत हो गयी. इस वाकया से 108 एम्बुलेंस सेवा की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है.
क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
गर्भवती महिला को खून की कमी थी, इसलिये जांच के बाद तत्काल उसे चाईबासा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया था. इसके बाद मैं प्रखण्ड कार्यालय के बैठक में चला गया था. इस दौरान 108 एम्बुलेंस सोनुआ अस्पताल परिसर में ही खड़ी थी. सहिया द्वारा हेल्पलाईन नम्बर पर बात भी किया गया था. लेकिन जैसे जानकारी मिल रही है 108 एम्बुलेंस सेवा नहीं मिल पाया और इस दौरान महिला की मौत हो गयी.
सुलगते सवाल
ऐसे में अहम सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार और स्वास्थ्य विभाग चीख- चीख कर किस बात के दावे कर रही है. क्या घून लगे सिस्टम के खिलाफ कार्रवाई होगी ! क्या लापरवाह अधिकारी पर जवाबदेही तय होगी ?