एक ओर जहां वैश्विक महामारी के कारण झारखंड सरकार द्वारा स्वास्थ सुरक्षा सप्ताह के तहत कई प्रतिबंध लगाया गया है. ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण के चेन को तोड़ा जा सके. वहीं दूसरी ओर इस प्रतिबंध से सबसे ज्यादा प्रभावित शिक्षण संस्थान हो रहे हैं. ऐसे में बच्चों के भविष्य को लेकर एक बड़ा स्वाल उठता है, कि आख़िर कब तक चलेगा इस महामारी का दौर, कब समाप्त होगा लॉक डाउन. हालांकि सरकार द्वारा डीजी साथ कार्यक्रम के तहत राज्य के सभी स्कूलों में ऑनलाइन पढाई जारी है. डीजी साथ कार्यक्रम के तहत जो भी काॅन्टेन्ट शिक्षकों को वर्गवार लिंक रांची से आता है, उसे सभी शिक्षक अपने- अपने बनाये गये वर्गवार समूह में भेज देते हैं.
जिसे बच्चे अपने अपने स्मार्ट फोन में देखकर पढाई कर सकें इसी क्रम में दुमका ज़िले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बनकाठी स्कूल के प्रधानाध्यक द्वारा एक अनोखा पहल किया गया है, जो बच्चों के पढ़ाई में कारगार साबित हो रहा है. प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह का कहना है, कि राज्य सरकार बच्चों के पढ़ाई के लिए सामग्री दे ही रही हैं साथ ही डीजी साथ कार्यक्रम के तहत जो भी काॅन्टेन्ट दिया जाता है उसे पूरा भी किया जा रहा हैं, लेकिन बनकाठी गांव के सभी घरों में टीवी नहीं हैं.
सभी के पास स्मार्टफोन नहीं हैं. कुछ बच्चे मोबाइल से पढाई कर रहें हैं, बाकी जो बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, उनके लिए बनकाठी विद्यालय के शिक्षकों ने निर्णय लिया, कि स्कूल के बच्चों को उनके टोले में जाकर पढाई कराएंगे और लाउडस्पीकर के माध्यम से वर्गवार जो क्विज का काॅन्टेन्ट आता है उसे माइक द्वारा बच्चों सुनाया जाएगा और क्वीज का प्रश्न हल कराया जाएगा. स्कूल प्रबंधन द्वारा ऐसा ही किया जा रहा है. अभी बनकाठी स्कूल में 256 छात्र- छात्राएं नामांकित हैं, लेकिन मात्र 33 बच्चों के पास स्मार्ट फोन है. ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा देना बहुत ही कठिन कार्य है, इसलिए कोविड के सारे नियमों के साथ बच्चों को उनके घर के आंगन मे या दो घरों के बीच गलियों में बिठाकर पढाई कराया जा रहा है. शिक्षकों को ऐसा लगता है, कि इस बार भी लाउडस्पीकर लगाकर पढाई कराने से 2020 की तरह सभी टोले के सभी बच्चे पढाई का लाभ ले पायेंगे, और दीवारों में जो वर्णमाला हिंदी इंगलिश अंकित कराया गया वह भी कारगर साबित हो रहा है.
श्याम किशोर सिंह गांधी (प्रधानाध्यापक)
दुमका से मोहित कुमार की रिपोर्ट