आजादी के महानायकों की चर्चा हो और अमर शहीद खुदी राम बोस की चर्चा न हो ऐसा हो नहीं सकता. 3 दिसंबर 1889 को जन्मे बोस जब बहुत छोटे थे तभी उनके माता-पिता का निधन हो गया था. उनकी बड़ी बहन ने ही उनको पाला था. बंगाल विभाजन (1905 ) के बाद खुदीराम बोस स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे. सत्येन बोस के नेतृत्व में खुदीराम बोस ने अपना क्रांतिकारी जीवन शुरू किया था. भारतीय स्वाधीनता संग्राम में जान न्योछावर करने वाले प्रथम सेनानी खुदीराम बोस माने जाते हैं. वह आज ही के दिन यानी 11 अगस्त को केवल 18 साल की उम्र में देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए थे. उनकी शहादत ने हिंदुस्तानियों में आजादी की जो ललक पैदा की उससे स्वाधीनता आंदोलन को नया बल मिला. 8 जून, 1908 को उन्हें अदालत में पेश किया गया और 13 जून को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. 11 अगस्त 1908 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया. आज पूरा देश खुदी राम बोस को नमन कर रहा है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके सपनों के भारत का निर्माण करने का प्रण ले रहा है.
Exploring world