सरायकेला: झारखंड में मचे सियासी घमासान के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता रहे चंपई सोरेन के बगावती रुख को देखते हुए उन्हें संथाल के टाइगर कहे जाने वाले बिरसा हांसदा का समर्थन मिला है. बिरसा हांसदा ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के कोल्हान में चल रहे “नया अध्याय यात्रा” में शामिल होकर उन्हें अपना नैतिक समर्थन दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कमजोर शासक बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पांच महीने के कार्यकाल को हेमंत सोरेन के साढ़े चार साल के कार्यकाल पर भारी बताया.
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के कार्यकाल को देखकर हेमंत सोरेन घबरा गए यही वजह है कि जेल से निकलते ही आनन- फानन में उन्हें गद्दी से हटा दिया. उन्होंने चंपई सोरेन को आदिवासियों का बेहतर नेता बताया. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन और उनके परिवार आदिवासी विरोधी है. कोल्हान के आदिवासियों का हाल संथाल परगना के आदिवासियों से बेहतर है. इसकी मुख्य वजह सोरेन परिवार है. सोरेन परिवार संथाल के आदिवासियों का उत्थान नहीं देख सकता. उन्होंने बताया कि हम पूरी तरह से चंपाई सोरेन के साथ हैं और उनके हर कदम का स्वागत करते हैं.
श्री हांसदा ने झामुमो पर भी निशाना साधा और कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवारवाद की पार्टी बनकर रह गई है. इस पार्टी से राज्य के विकास की परिकल्पना संभव नहीं है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री के बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर बिरसा हांसदा ने साफ कर दिया कि बीजेपी आदिवासियों की हितैषी पार्टी नहीं है. यदि बीजेपी हमारे नीति- सिद्धांतों को मानती है तब उन्हें भी हम नैतिक समर्थन करेंगे. फिलहाल चंपई सोरेन के साथ खड़े हैं और उनके निर्णय पर हमारी नजर है. बता दे कि बिरसा हांसदा हसदा को संथाल टाइगर के नाम से जाना जाता है. किसी जमाने में शिबू सोरेन परिवार से उनकी नजदीकियां रही थी. शिबू सोरेन के दिवंगत पुत्र दुर्गा सोरेन की मौत के बाद उनकी पत्नी सीता सोरेन को राजनीतिक रूप से मजबूत बनाने में बिरसा हांसदा ने बड़ी भूमिका निभाई. बिरसा संथाल के आदिवासियों के बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं. ऐसे में बागी चंपई सोरेन को अपना नैतिक समर्थन देकर बिरसा ने भविष्य के संकेत भी दे दिए हैं.
देखें video