SARAIKEL कला की नगरी सरायकेला में होली का उल्लास अन्य शहरों से कई मायनों में अलग है. यहां वर्षो से चली आ रही उत्कल की प्राचीन व समृद्ध परंपरा की झलक देखने को मिलती है. यहां के लोग होली पर्व को दोल पूर्णिमा या दोल यात्रा के रूप में मनाते हैं. 18 मार्च शुक्रवार को सरायकेला में पवित्र दोल यात्रा का भव्य आयोजन किया जाएगा.
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दोल यात्रा पर सरायकेला में भगवान श्रीकृष्ण अपनी प्रेयसी राधारानी के साथ सजधजकर श्रद्धालुओं के साथ पूरे नगर का भ्रमण करेंगे. इस दौरान शहर के हर घर में दस्तक देंगे तथा श्रद्धालुओं संग गुलाल खेलेंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है.
मृत्युंजय खास मंदिर से होगी दोल यात्रा की शुरुआत
दोल पूर्णिमा के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण व राधा रानी की दोल यात्रा की शुरुआत कंसारी टोला स्थित मृत्युंजय खास श्रीराधा कृष्ण मंदिर से होगी. दो सौ साल पुरानी इस मंदिर में विधिपूर्वक राधा- कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना होगी. इस दौरान राधा कृष्ण का भव्य श्रृंगार किया जाएगा. इसके पश्चात राधा- कृष्ण को विशेष पालकी पर सवार कर उन्हें मलाई का भोग लगाया जाएगा. फिर उन्हें पालकी पर सवार कर श्रद्धालु उनके साथ होली खेलने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगे. नगर भ्रमण के दौरान राधा- रानी के साथ कान्हा हर घर में दस्तक देंगे और नगरवासियों के साथ गुलाल की होली खेलेंगे.
शंखध्वनी व उलुध्वनी से होगा राधा-कृष्ण का स्वागत
नगर भ्रमण के दौरान श्रद्धालु पारंपरिक वाद्य यंत्र मृदंग, झंजाल व गिनी आदि के साथ दोल यात्रा में शामिल होते हैं. इस दौरान हर घर में शंख ध्वनी, उलुध्वनी के साथ भगवान श्रीकृष्ण का स्वागत किया जाता है. स्वागत के लिए श्रद्धालु अपने घर के सामने गोबर लीपकर वहां रंग बिरंगी अल्पना भी बनाते हैं.
पहले सात दिन की होती थी दोल पूर्णिमा
दोल यात्रा का आयोजन आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली द्वारा किया जाता है. समिति के प्रमुख ज्योतिलाल साहू ने बताया कि मंडली 1990 से यह आयोजन करती आ रही है. वर्तमान में दोल यात्रा का आयोजन एक ही दिन दोल पूर्णिमा पर होता है. राज- राजवाड़े के समय में इसका आयोजन फागुन दशमी से पूर्णिमा तक होता था. वर्तमान में पूरा आयोजन स्थानीय लोगों के सहयोग से होता है.
पूजा का समय
शुक्रवार शाम 3:40 बजे प्रभु को माखन मिश्री भोग अर्पण
4.10 बजे रथ में प्रवेश कर दोल यात्रा के लिए निकलेंगे
4.15 बजे प्रभु को गुलाल अर्पण तथा नगर भ्रमण कराया जाएगा.
ऐतिहासिक होगा इस साल दोल यात्रा: ज्योतिलाल
इस संबंध में आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली सरायकेला के संस्थापक ज्योतिलाल साहू ने बताया कि द्वारा हर वर्ष दोल यात्रा का आयोजन किया जाता है. प्रभु राधा-कृष्ण रथ पर सवार होकर घर घर दस्तक देते हैं. यह यात्रा एक धार्मिक कार्यक्रम है. यात्रा के दौरान प्रभु के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस वर्ष का दोल यात्रा कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा.
धूमिल हो रही सरायकेला की सांस्कृतिक विरासत
किसी जमाने में अपनी कला- संस्कृति व परंपराओं के लिए विख्यात सरायकेला की पहचान धूमिल होती जा रही है. विरासत में मिली सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा करने में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं. देखा जाए तो जिले में 16वीं से 21वीं शताब्दी के कालखंड में संपूर्ण सरायकेला का नक्शा बदल गया है. विकास के दौर में लोग अपनी संस्कृति व परंपराओं को पीछे छोड़ रहे हैं. साथ ही लोगों की मानसिकता में भी काफी बदलाव आया है. नतीजन स्थिति यह हो गई है कि चारो ओर अराजकता का माहौल व्याप्त हो गया है. जिला मुख्यालय सरायकेला की शोभा बढ़ाने वाले प्राचीन जगन्नाथ मंदिर, राधा- कृष्ण मंदिर, थाना चौक के समीप स्थिति भगवान जगन्नाथ के गुड़िचा मंदिर समेत अन्य प्राचीन व सांस्कृतिक धरोहरों पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. दोल उत्सव होली के नजदीक आते ही प्राचीन दोल उत्सव परंपराओं की स्मृतियां ताजा हो जाती हैं. सन 1620 में सरायकेला स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था. उसी साल सरायकेला के राजा अभिराम सिंह के आदेश पर पहली बार होली मनाई गई थी. इसके बाद 1800 में भी होली मनाने के तरीके में काफी निखार आया. तत्कालीन राजा उदित नारायण के काल में राजा को पान खिलाने वाले मृत्युंजय नामक व्यक्ति ने कंसारी टोला में राधा- कृष्ण मंदिर का निर्माण करवाया था. उसी मंदिर से दोल यात्रा प्रारंभ की जाती है. लेकिन समय के साथ सारी प्राचीन परंपराओं ने दम तोड़ दिया. प्राचीन राधा- कृष्ण मंदिर का अस्तित्व आज खतरे में पड़ गया है. समय- समय पर मरम्मत नहीं होने के कारण यह प्राचीन मंदिर व सांस्कृतिक धरोहर खंडहरों में तब्दील हो रहा है.
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