सरायकेला: जिले के तिरुलडीह थाना क्षेत्र में फिर से बालू माफिया सक्रिय हो गए हैं. बता दें कि हाल ही में यहां नए थानेदार ने पदभार संभाला है. उन्होंने अवैध बालू खनन पर रोक लगाने का दावा किया था, मगर ऐसा लग रहा है कि बालू माफियाओं के रसूख के कारण उन्होंने उनके आगे हथियार डाल दिया है.
इन दिनों तिरुलडीह में अवैध बालू का कारोबार चरम सीमा पर है. रात के अंधेरे में रोजाना सैकड़ो ट्रैक्टर गर्जन करते तिरुलडीह के स्वर्णरेखा घाट पर टूट पड़ते है, और जमकर नदी से बालू उठाते है और स्वर्णरेखा नदी के किनारे भंडारण करते है. ये खेला रात भर चलता है. सैकड़ो ट्रैक्टरों से दर्जनो अवैध बालू कारोबारी बालू का उठाव कर रात भर इस बालू को हाइवा से बंगाल भेजते है. बताया जाता है कि बालू माफिया अपनी ऊची पहुंच के कारण व बड़े अधिकारियों से सेटिंग का हवाला देकर अवैध बालू के कारोबार का संचालन करते है. सुनने को तो यह भी मिलता है, कि इसमें नीचे से लेकर उपर तक के अधिकारियों तक चढ़ावा पहुचाया जाता है. गौर करने वाली बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर अबैध बालू का कारोबार होने के बाद भी विभाग व प्रशासन मौन है. रोजाना तिरुलडीह के सपादा, सपारुम व तिरुलडीह घाट से बालू तिरुलडीह थाना क्षेत्र के शहीद चौक होते हुए नीमडीह थाना क्षेत्र के सिरुम चौक होते हुए बाघमुंडी थाना के दुआरसिनी होते हुए बंगाल के विभिन्न जगहों में सप्लाई होता है. यह सिलसिला रात 9 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक चलता है. तिरुलडीह शहीद चौक से तिरुलडीह थाना महज एक सौ मीटर की दूरी पर है. जहां से बालू लदे हाइवा का आवाज भी सुना जा सकता है, लेकिन तिरुलडीह पुलिस को इसकी खबर नही है. इतना ही नही ये बालू लदे हाइवा कुकड़ू अंचल कार्यालय से सटे रोड से होकर ही पार होता है. अब ये कहना मुश्किल हो गया है कि अधिकारियों का अधिकार कमजोर हो गया है, या बालू माफियाओं का शक्ति प्रबल हो गया है. आखिर अवैध बालू का कारोबार किसके इशारे पर हो रहा है, कौन कौन इस खेल के खिलाड़ी हैं, ये जांच का विषय है.