खरसावां: झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के बैनर तले खरसावां पहुचे टाइगर जयराम महतो ने मंगलवार को खरसावां के वीर शहीदों को श्रद्वाजंलि देते हुए कहा कि झारखंड में पहले स्थानीय नीति, स्थानीय नीति के आधार पर बने फिर नियोजन नीति, तभी कोई बहाली हो. नही तो जितनी भी बहाली होगी, झारखंड के लोगों का छटनी होगा.
फाइनली ऐसा होगा कि झारखंड फिर से गुलाम हो जाएगा. झारखंड में पहले स्थानीय नीति बने, चाहे जो भी आधार हो. खतियान, भाषा-संस्कुति या पट्टा हो, कुछ ना कुछ आधार होगा. उन्होने कहा कि पहले स्थानीय नीति बने और उसके आधार पर नियोजन नीति बने. अगर नही बनता है तो देखिये क्या होगा. आज अगर जितने भी वैकेंसी आई है, चाहे शिक्षक बहाली हो, जेपीसी का मामला हो, सबमें लिखा रहता है कि भारत का नागरिक होना चाहिए. मै पूछना चाहता हूं कि झारखंड केंद्र शासित राज्य है ? नही झारखंड एक पूर्ण राज्य है. जब पूर्ण राज्य है तो पहला अधिकार झारखंड के निवासियों का होना चाहिए. बिहार लिखता है बिहार का निवासी हो, बंगाल लिखता है कि बंगाल का निवासी हो, पंजाब लिखता है कि पंजाब का निवासी हो, फिर झारखंड सरकार इतना गंदा मजाक झारखडियों के साथ क्यो कर रही है ? हमारी लडाई न्याय संगत नही संवैधानिक है.
झारखंड पूर्ण राज्य है. यहां पहले अधिकार झारखंडियो को मिले. इसलिए हमारी लडाई कही गलत नही है. यह लडाई तब तक चलेगी जब तक झारखंडियो के हित में जो रक्षा कवच है, स्थानीय नीति ना बन जाए.
झारखंड की पहचान मिटाने की हो रही साजिश: महतो
खरसावां के गोपालपुर मैदान में झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति बडाबाम्बों द्वारा आयोजित महाजुटान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टाइगर जयराम महतो ने कहा कि लगातार झारखंड की पहचान मिटाने की साजिश हो रही है. झारखंड राज्य गठन के 21 सालों के बाद भी झारखंड की स्थिति ज्यों की त्यों है. भाषा के माध्यम से धीरे- धीरे हमारी संस्कृति को खत्म किया जा रहा है. हमारी जमीन और माटी को छीना जा रहा है. भाषा के माध्यम से जो बची कुछी पहचान झारखंड की है कि वह भी ये समाप्त कर रहे हैं. निःसंदेह आने वाले दिनों में झारखंड समाप्त हो हो जाएगा. नक्शा में झारखंड होगा, हम और आप सभी होंगे, लेकिन हम गुलाम की तरह जीवन यापन करेंगे. माटी हमारी होगी लेकिन उसमें हम मजदूरी करेंगे और अधिकारी कोई बाहर का व्यक्ति होगा. यह लड़ाई नई झारखंड के निर्माण की है. इस दौरान मुख्य रूप से बबलू महतो, भुपति महतो, सुशील कुमार महतो, राजकुमार महतो, रामरतन महतो, सुरोज महतो, शत्रुघन महतो, प्राण मेलगांड़ी, विसकेशन महतो, दिलीप चंद्र महतो, चिंतामणि महतो, दिनेश महतो, बाबलु महतो, अशोक कुमार महतो, इंद्रजीत महतो, चंद्रमोहन महतो, शंभू मंडल आदि उपस्थित थे.
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जयराम महतो
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