विकास के नाम पर नरक में तब्दील हो चुके सरायकेला- खरसावां जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में इन दिनों राजनीतिक पारा गर्म है.
वैसे नरक में तब्दील हो चुके आदित्यपुर नगर निगम के हालात के लिए पिछली सरकार की अदूरदर्शिता और निगम प्रशासन के कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराने के बजाय अपर नगर आयुक्त से लेकर डिप्टी मेयर और पार्षद निगम क्षेत्र में चल रहे लगभग 350 करोड़ के सीवरेज- ड्रेनेज और जलापूर्ति योजना का काम करा रहे संवेदकों को मान रहे हैं.
वैश्विक महामारी के कारण राज्य में कोरोना संक्रमण के चेन को तोड़ने के उद्देश्य से स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत आंशिक लॉकड लगाया गया है, लेकिन विकास के कार्यों को जारी रखने का निर्देश दिया गया है. बावजूद इसके नगर निगम क्षेत्र का विकास पूरी तरह अवरुद्ध पड़ा हुआ है. बरसात से पहले हुए बारिश ने पूरे नगर निगम क्षेत्र को नरक में तब्दील कर दिया. सड़क पर गड्ढे हैं, या गड्ढों में सड़क. नालों का पानी सड़क पर बह रहा है, या सड़क के पानी नाले में बह रहे हैं. यह पता चल पान मुश्किल हो चुका है. पिछले दिनों यास चक्रवात और उसके बाद हुए बारिश के कारण सड़कों और नालों का पानी गलियों मोहल्लों के रास्ते लोगों के घरों में घुसा और भारी तबाही मचाया. नगर निगम के माननीय इसके लिए एजेंसियों को जिम्मेदार ठहरा कर अपना पल्ला झाड़ते नजर आए. डिप्टी मेयर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ठीकरा काम करा रहे एजेंसियों पर फोड़ते हुए पूरे मामले की जांच कराए जाने की मांग कर डाली.
अमित उर्फ बॉबी सिंह डिप्टी मेयर आदित्यपुर नगर निगम
हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब डिप्टी मेयर एजेंसी के खिलाफ मुखर हुए हैं. इससे पूर्व भी उनके द्वारा शपुड़जी पलोनजी एवं जिंदल के खिलाफ किलाबंदी की गई थी. लेकिन वह शुरुआती दौर था. मामला ठंडे बस्ते में चला गया. नतीजा आज पूरा नगर निगम क्षेत्र की जनता भुगत रही है. डिप्टी मेयर की किलेबंदी में कई पार्षदों का भी समर्थन मिलता रहा है. जब- जब माननीयों के हितों पर हमला हुआ उनके द्वारा निगम प्रशासन के खिलाफ किलेबंदी की गई. मगर वो दौर पिछली सरकार का था. डिप्टी मेयर पार्षदों के साथ निगम प्रशासन के खिलाफ इससे पूर्व भी गीदड़भभकी दिखा चुके हैं.
29 जून 2019 को 20 पार्षदों का समर्थन दिखाकर सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दिया था
मेयर को लिखे चिट्ठी में बीस पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफे की पेशकश की थी.
वैसे सब गीदड़भभकी ही साबित हुआ. निगम प्रशासन अपनी मनमानी करता रहा न मेयर कभी निगम के खिलाफ कुछ बोलते नजर आए, न ही डिप्टी मेयर और पार्षदों की धुड़की पर गंभीर दिखे. डिप्टी मेयर अपने चहेते लोगों के साथ उद्गम के रास्ते चल पड़े, और खून दान के नाम पर कीर्तिमान बनाने में जुट गए और पार्षदगण अपने रास्ते. निगम के बोर्ड बैठकों में हो हंगामा होते रहे. नतीजा जनता भुगतती रही. उधर कोरोना के आड़ में मेयर वार्ड 29 की राजनीति में सक्रिय हो गए. नगर निगम के अधिकारी- कर्मचारी नगर निगम में और डिप्टी मेयर घर में आइसोलेट हो गए, वहीं कुछ पार्षदगण सरकारी जमीन में कार्यालय बनाने में जुट गए. कुछ पार्षदगण मेयर और डिप्टी मेयर की चापलूसी में जुट गए. एकाध अपने स्तर से सक्रिय रहे. संवेदक इसका फायदा उठा कर मनमाने तरीके से काम करते चले गए. यहां तक कि नगर निगम के माननीय ये भी भूल गए कि चुने गए जनप्रतिनिधियों का वैश्विक महामारी के दौर में क्या भूमिका होना चाहिए. ढाई लाख की आबादी को भगवान भरोसे छोड़ खुद अपने घरों में कैद हो गए. हालांकि पिछले दिनों केंद्र सरकार के सात साल पूरे होने पर आलाकमान के फरमान के बाद मेयर और डिप्टी मेयर आम जनता के समक्ष प्रकट होकर समाज सेवा करते नजर आए थे.
केंद्र में भाजपा सरकार का सातवां सालगिरह मनाते डिप्टी मेयर एंड कंपनी की तस्वीर
अपने आवास पर जनता को दर्शन देकर मेयर ने भी पार्टी द्वारा निर्देशित सेवा दिवस मनाया
वैसे पिछली सरकार की अदूरदर्शिता और निगम प्रशासन की नाकामी इसलिए कही जा सकती है, क्योंकि बगैर जमीन पर सर्वे किए इतनी बड़ी योजना को एक साथ पूरे नगर निगम क्षेत्र में लागू करा दिया गया. संवेदक मनमाने तरीके से सड़कों और गलियों की खुदाई करते रहे, देखते ही देखते पूरा नगर निगम क्षेत्र गड्ढों में तब्दील हो गया. ना पार्षदों ने विरोध जताया, ना मेयर ना ही डिप्टी मेयर ने आवाज मुखर नहीं की. सब के सब चुप रहे. नगर निगम के कर्ता-धर्ता यानी अपर नगर आयुक्त कभी भी संवेदकों द्वारा काम कराए जा रहे वार्डों का निरीक्षण कर हालात का जायजा नहीं लिया. 5 महीना पहले कांग्रेस ने इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था. जहां अपर नगर आयुक्त ने सड़कों पर खोदे गए गड्ढों को जल्द भरने का आश्वासन दे दिया, लेकिन वह आश्वासन अखबारों तक ही सिमट कर रह गया. इसकी आड़ में जांच की जद में आए सड़कों की भी खुदाई कर दी गई आपको याद दिला दें की आदित्यपुर 2 रोड नंबर 4 से लेकर ट्रांसपोर्ट कॉलोनी तक बने मुख्य सड़क को लेकर कई पार्षदों ने आपत्ति जताई थी जिसके बाद उक्त सड़क का काम रोक दिया गया और जांच बिठा दिया गया लेकिन सीवरेज ड्रेनेज के नाम पर उक्त सड़क की खुदाई कर दी गई जिससे इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उक्त सड़क का जांच कार्य प्रभावित होगा इससे लाभ किसको होगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि यह सड़क अभी भी अधूरा पड़ा है. इतना ही नहीं रोड नंबर 19 से बाबा कुटी तक बननेवाला पीसीसी सड़क उद्गम स्थल पर ही विवादों में घिर गया और अभी तक अधूरा है. जबकि स्वीकृत राशि का भुगतान कर दिया गया है. रोड नंबर 19 से लेकर 11 नवबर तक पीछे की ओर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय से सटे नाली पर अतिक्रमण हो गया है. सुध लेने वाला कोई नहीं. अब जबकि कोरोना महामारी के दूसरे लहर का संक्रमण धीरे- धीरे कम हो रहा है, और नगर निगम चुनाव के लगभग डेढ़ साल बच्चे हैं. इसके अलावा विपक्ष को लगातार हमलावर होते देख नगर निगम के डिप्टी मेयर और पार्षदगण के साथ अपर नगर आयुक्त नगर निगम क्षेत्र की बदहाली का ठीकरा संवेदकों पर फोड़ अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. वैसे इस बार आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र की जनता वैश्विक त्रासदी के दौर और खुद के साथ विकास के नाम पर धोखाधड़ी को भूलेगी ऐसा नहीं लग रहा है. वहीं विपक्ष भी इस मुद्दे को भुनाने का कोई मौका हाथ से जाने देने के मूड में नजर नहीं आ रहा है. यही कारण है कि धूर विरोधी भी चुनाव से पहले चौपाल पर चाय की चुस्की लेते नजर आ रहे हैं.
आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष राजद नेता पुरेन्द्र नारायण सिंह और देव प्रकाश देवता जो पार्टी में रहते हुए एक दूसरे के धूर राजनीतिक विरोधी रह चुके हैं. अब आदित्यपुर की सड़कों पर एक साथ नजर आ रहे हैं