सरायकेला: सूबे के सरकारी स्कूलों में कक्षावधि सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक करने के राज्य सरकार के निर्णय को टेट सफल सहायक अध्यापक संघ ने तुगलकी फरमान करार दिया है. विदित हो कि राज्य सरकार ने कोरोनाकाल में बच्चों की पढ़ाई में हुई क्षति की पूर्ति के लिए सभी सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक कक्षाओं के शैक्षणिक सत्र को जून तक विस्तार किया है, साथ ही ग्रीष्मकालीन कक्षावधि को सुबह सात से दोपहर एक बजे तक कर दिया है.
इस संदर्भ में टेट सफल सहायक अध्यापक संघ झारखण्ड प्रदेश के मीडिया प्रभारी सह प्रदेश वार्ताकार कमिटी सदस्य कुणाल दास ने शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि लगातार बढ़ती भीषण गर्मी के बीच ग्रीष्मकालीन कक्षाओं को सुबह सात से दोपहर एक बजे तक चलाना एक क्रूरतापूर्ण अमानवीय फैसला है. लगातार राज्य भर से बच्चों के प्रभावित होने की खबरें आ रही हैं. जहां तक पढ़ाई की क्षतिपूर्ति की बात है तो राज्य भर के शिक्षकों ने कोरोनाकाल में भी ऑनलाइन शिक्षण कार्य के जरिये बखूबी शिक्षण कार्य को अंजाम दिया है. कुछ बच्चे ऑनलाइन शिक्षण से आंशिक रूप से वंचित जरूर रहे हैं किंतु उसकी क्षतिपूर्ति के लिए नौनिहालों की जिंदगी दांव पर नहीं लगाई जा सकती. उन्होंने आगे कहा कि क्षतिपूर्ति के लिए सरकार का यह प्रयास बिल्कुल उसी तरह है कि मानो आपको सही समय पर भोजन नहीं मिल पाया तो असमय ही जबरन भोजन ठूंसकर खिलाया जाए. इस भीषण गर्मी में शिक्षण की प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को शिक्षण अवधि पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. इन हालातों में प्रातः साढ़े छ: बजे से साढ़े दस बजे तक कक्षा संचालित करना उपयुक्त होगा.