आज विश्व आदिवासी दिवस है. वैसे तो देश भर में आदिवासी समुदाय अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कर अपने हक और हुकूक की आवाज वैश्विक पटल तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. आदिवासियों के लिए अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ, ताकि यहां के आदिवासियों का सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके. समय के साथ आदिवासी समुदाय खुद को तेजी से वैश्विक परिपेक्ष में स्थापित करने में सफल हो रहे हैं. विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर झारखंडी एकता और आदिवासी एकजुटता का परिचय देते हुए यहां के आदिवासियों ने नए झारखंड के उलगुलान की घोषणा की है. इधर सुबह से ही विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इन सबके बीच सरायकेला- खरसावां जिला स्थित टाटा समूह की अनुषंगी इकाई टायो रोल्स मिल जो अब टाटा स्टील ग्रोथ चौक यानी टीजीएस के नाम से जाने जा रही है, के समक्ष आदिवासी समाज के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए टाटा समूह को 15 दिनों के भीतर खुली चेतावनी देते हुए खेरवाल सावंता (जाहेर थान) के 11 डिसमिल जमीन को वापस करने, टीजीएस के गंदे पानी को तत्काल जाहेर थान में आने से रोकने और स्थानीय आदिवासियों को नियुक्ति में प्राथमिकता देने की शर्त रखी है. साथ ही चेतावनी दिया है, कि अब लड़ाई आर-पार की होगी. आदिवासी अपने हक और हुकूक की लड़ाई लड़ना भी जानते हैं और लेना भी जानते हैं. विदित रहे, कि बीते एक महीने से टाटा समूह के खिलाफ सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्थानीय आदिवासियों और मूल वासियों को नौकरी देने की मांग को लेकर मोर्चा खोल रखा है. आए दिन झामुमो धरना प्रदर्शन के माध्यम से टाटा समूह को चेतावनी भी दे रहा है. कभी भी मामला हिंसक रूप ले सकता है. ऐसे में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासियों द्वारा टाटा समूह को चेतावनी देना क्या वाकई नए झारखंड का उलगुलान होगा, या भोले-भाले आदिवासियों के आड़ में फिर कोई नया खेला होगा ! वैसे प्रदर्शन कर रहे आदिवासी समुदाय के लोगों ने साफ कर दिया है, कि अगर कंपनी चलानी है तो आदिवासियों को नौकरी पर रखना ही होगा.
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