सरायकेला जिले के गम्हरिया स्थित टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के फेब्रिकेशन ऑपरेटरों को हड़ताल पर जाना महंगा पड़ गया है. जहां संवेदक ने सभी 45 मजदूरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. बेरोजगारी के दौर में एक ओर जहां सरकार दावा करती है कि हर मजदूर के हाथ में काम होगा वहीं झारखंड की औद्योगिक नगरी सरायकेला में मजदूरों को अपना हक मांगना महंगा पड़ गया है. वहीं मामले में एक ओर जहां प्रबंधन ने चुप्पी साध ली. वही संवेदक भी कैमरे पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए. हालांकि संवेदक के सुपरवाइजर पी गौरी शंकर राव ने बताया कि मजदूरों ने स्वेक्षा से काम छोड़ दिया है. आपको बता दें, कि सोमवार को मजदूर पिछले दो महीने से बकाया वेतन करीब 9 लाख के भुगतान की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे. उधर हड़ताल पर जाते ही आनन-फानन में शिवानंद कंस्ट्रक्शन की ओर से मजदूरों को बकाया वेतन का भुगतान कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. हालांकि इस संबंध में जब हमने मजदूरों का पक्ष जानना चाहा तो किसी ने भी संवेदक के खिलाफ कुछ भी बोलने से मना कर दिया, क्योंकि उन्हें चिंता है, तो अगले रोजगार की. आज अगर एक संवेदक के खिलाफ कुछ कहते हैं तो कल उन्हें दूसरा संवेदक काम नहीं देगा. सवाल ये उठता है कि आखिर मजदूरों के शहर में मजदूर कब तक शोषित होते रहेंगे. जबकि झारखंड सरकार का दावा है, कि यहां के सभी कंपनियों में 75 फ़ीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाएगा.

