आदित्यपुर: बीते मंगलवार को टाटा स्टील गम्हरिया डिवीजन (टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट) के डंपिंग यार्ड में हुए डबल मर्डर की मिस्ट्री अबतक अनसुलझी है. मामले को लेकर पेलोडर चालक की पत्नी ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है, जबकि घटना में मारे गए स्क्रैप चोर गोविंदा कालिंदी उर्फ गोगो की पत्नी ने यार्ड में तैनात सुरक्षाकर्मियों की गोली से हत्या करने की शिकायत दर्ज कराया है. गोगो के शरीर में दो गोलियों के निशान भी मिले हैं, मगर टाटा स्टील प्रबंधन ने गोलीचालन की घटना से इंकार किया है. अबतक पुलिस ने न तो कंपनी के गार्ड को हिरासत में लिया है न ही पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि गोगो की मौत कैसे हुई है. जो कहीं न कहीं मामले को संदिग्ध बता रहा है.
क्या थी घटना और क्यों उठ रहे सवाल
बीते मंगलवार को टाटा स्टील गम्हरिया यूनिट के डंपिंग यार्ड में कार्यरत ठेकाकर्मी पेलोडर चालक अभय सिंह की पत्थर से कुचलकर हत्या किए जाने का मामला प्रकाश में आया. सवाल ये कि अभय सिंह की पत्थर से कुचलकर हत्या किसने की ? क्या कुसूर था अभय सिंह का ? डंपिंग यार्ड में सुरक्षा कर्मी के अलावे कौन- कौन था ? उनकी क्या भूमिका थी ? क्या टाटा स्टील प्रबंधन को इसका जवाब नहीं देना चाहिए ? अबतक टाटा स्टील की ओर से जो बयान सामने आए हैं वो ये कि यार्ड में कोई गोलीचालन की घटना नहीं हुई है, फिर अभय की हत्या कैसे हुई ? दूसरा सवाल वो ये कि गोविंदा की हत्या कैसे हुई ? कौन था गोविंदा और यार्ड के पास वह क्या कर रहा था उसे दो- दो गोलियां किसने मारी ? उसके शरीर में मिले गोलियों के निशान से गार्ड के बंदूक में लगनेवाले गोलियों का मिलान किया गया ? पुलिस इस मामले में भी चुप है. जबकि गोविंदा के परिजनों ने बताया कि गोविंदा शौच के लिए यार्ड की तरफ आया था यहां सिक्युरिटी गार्ड ने उसे गोली मार दी जिससे उसकी मौत हुई है. सवाल फिर वही कि गोविंदा की हत्या किसने, क्यों और किन परिस्थितियों में की गई ?
किसे बचा रही है पुलिस !
9जैसे- जैसे समय बीत रहा है पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आ रही है, जबकि केस बिल्कुल खुला हुआ है. पुलिस को जांच इस बात की करनी है कि यार्ड में पेलोडर चालक अभय सिंह की हत्या कैसे हुई और गोविंदा किसकी गोली से मरा ? जो बातें अबतक हमारी पड़ताल में सामने आए हैं उससे यही पता चला है कि टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट (पूर्व में उषा मार्टिन) से हर दिन लाखों के स्क्रैप की निकासी अवैध रूप से होती है. इस काले धंधे में कंपनी के सुरक्षाकर्मियों से लेकर अधिकारियों की मिलीभगत होती है. इस इलाके में एक ही स्क्रैप माफिया है जिसके इशारे पर पूरा धंधा संचालित होता है. उसका टाल गम्हरिया रेलवे स्टेशन के समीप है. वह जुगसलाई का राहनेवाला है और उसे एक सफेदपोश का संरक्षण प्राप्त है. आजतक के इतिहास में कभी भी पुलिस ने स्क्रैप माफिया के ठिकाने पर हाथ नहीं डाला है. स्क्रैप माफिया की रसूख ऐसी है कि उसके एक इशारे पर स्क्रैप चोर किसी की भी हत्या कर दे. पुलिस की गाड़ी पर पथराव करवा दे, आसपास के ग्रामीणों की मानें तो इलाके में किसी ने आजतक पुलिस के गश्ती दल को नहीं देखा है. यहां करीब डेढ़ हजार स्क्रैप चोरों का जमावड़ा लगा रहता है, जो स्क्रैप सरगना के इशारे पर मरने- मारने पर उतारू रहते हैं. अंदारखाने की माने तो इस काले कमाई का बड़ा हिस्सा ऊपर तक के अधिकारियों तक जाता है. अब टाटा स्टील की भूमिका पर सवाल उठते हैं. आखिर टाटा स्टील इतने बड़े पैमाने पर हो रहे स्क्रैप चोरी पर क्यों मौन है ? यहां सफेदपोश की भूमिका सवालों के घेरे में है. आज टाटा स्टील सख्ती बरते कल कंपनी के कार्मियों के साथ अनहोनी हो जाए. कंपनी गेट जाम हो जाए. यह घटना उसी की एक बानगी है. सूत्रों की माने तो डंपिंग यार्ड में मृत पेलोडर चालक ने स्क्रैप चोरी कर भाग रहे चोरों का विरोध किया था. जहां स्क्रैप चोरों ने पेलोडर चालक अभय सिंह की बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी. उसे पेलोडर के समीप ही पटककर पत्थर से कूचकर मौत के घाट उतार दिया. यार्ड में तैनात सुरक्षा कर्मी और अन्य कर्मी तबतक तमाशबीन बने रहे जबतक अभय सिंह की मौत नहीं हो गई. उसके बाद गार्ड ने हवाई फायरिंग की जो शौच के लिए यार्ड के समीप बैठे गोविंदा को लग गई. यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि गोविंदा को दो- दो गोलियां लगी है जो दर्शाता है कि गोविंदा शौच के लिए नहीं बल्कि चोरों के साथ आया था और गार्ड ने गोलियां चलाई और उसे लग गई. हालांकि घटना के अगले दिन अभय सिंह के शव का परिजन पोस्टमार्टम कराकर अपने साथ बिहार ले गए. ईचागढ़ के पूर्व विधायक और भाजपा नेता अरविंद सिंह की पहल पर परिजनों को करीब 14 लाख मुआवजा और एक आश्रित को नौकरी देने पर संवेदक राजी हुआ है, वैसे इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है श्राद्धकर्म समाप्त होने के बाद परिजनों के लौटने पर ही स्पष्ट हो सकेगा कि फैसला क्या हुआ है. वहीं टाटा स्टील प्रबंधन ने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं जो कई सवालों को जन्म दे रहा है.
आगे क्या !
यदि इस मामले को दबा दिया गया या मंथली के लोभ में पुलिस मैनेज हो गयी, तो आनेवाले दिनों में यहां और भी खूनखराबा होने की संभावना बनी रहेगी. कंपनी प्रबंधन को अपने सुरक्षा व्यवस्था को चाक- चौबंद करने होंगे और अपने लोभी अधिकारियों को चिन्हित कर कार्रवाई करनी होगी. कंपनी में धरना- प्रदर्शन, गेट जाम के डर से बाहर निकलकर सरकार से सुरक्षा की मांग करनी होगी. वैसे इस क्षेत्र में टाटा समूह विस्तारीकरण कर रही है यही वजह है कि हर दिन हो रहे लाखों के नुकसान पर प्रबंधन मौन है.