टाटा समूह ने लगभग 130 बिलियन रुपये ($1.6 बिलियन) के अनुमानित प्रारंभिक निवेश के साथ, लिथियम- आयन सेल के निर्माण के लिए एक गीगा- फैक्ट्री स्थापित करने के लिए गुजरात सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
भारत में पहली बार लीथियम- आयन सेल के उत्पादन के लिए गुजरात में इस तरह का एक गीगा- कारखाना चालू होगा. इस संयंत्र में लगभग 13,000 करोड़ रुपये का प्रारंभिक निवेश होगा और इसकी उत्पादन क्षमता 20 GWh होगी. यह 13,000 से अधिक लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा. राज्य सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देकर और कार्बन उत्सर्जन को कम करके कार्बन मुक्त, ऊर्जा कुशल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.
गुजरात सरकार और टाटा समूह के बीच गांधीनगर में एक समझौता हुआ है. यह समझौता ज्ञापन नई तैयार की गई इलेक्ट्रॉनिक्स नीति का परिणाम है. टाटा समूह की सहायक कंपनी, टाटा अगरतास एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ और गुजरात सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव श्री विजय नेहरा ने मुख्यमंत्री की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए और इसका आदान-प्रदान किया. राज्य सरकार की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक दस्तावेज के अनुसार, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में गुजरात की उल्लेखनीय प्रगति में 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की प्रतिबद्धता और 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 50 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी शामिल है.”
ऐसे में ईवीएस के इस्तेमाल से लीथियम- आयन बैटरी पर निर्भरता बढ़ेगी. टाटा समूह के प्लांट की स्थापना के साथ, गुजरात लिथियम- आयन सेल निर्माण में अग्रणी राज्य बन जाएगा और राज्य में बैटरी निर्माण इको- सिस्टम स्थापित करने में भी सहायता प्राप्त करेगा.
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव के. कैलाशनाथन, मुख्य सचिव राज कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव पंकज जोशी और टाटा समूह के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.