टाटा कमिंस, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील के विरुद्ध छिड़ा झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का आंदोलन और भी ज्यादा तूल पकड़ते हुए उलझता ही जा रहा है. मंगलवार को सुबह जमशेदपुर भाजपा जिलाध्यक्ष गुंजन यादव के टाटा प्रबंधन के समर्थन में उतरने के मामले पर देर शाम एक प्रेसवार्ता आयोजित कर जवाबी हमला बोलते हुए सरायकेला-खरसावां के झामुमो जिलाध्यक्ष डॉ शुभेन्दु महतो ने कहा कि राज्य में बेरहमी से सत्ता से बेदखल हो चुकी भाजपा अब बौखलाहट और हताशा में स्वत: अपना पूंजीपति समर्थित चरित्र उजागर कर रही है. झारखंडी आदिवासियों और मूल निवासियों की भावनाओं को रौंद कर जिस प्रकार से भाजपा टाटा प्रबंधन के समर्थन में उतरी है यह निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा की असली बुनियाद ही पूंजीपतियों और उद्योगपतियों की शह पर कायम है, इसलिए उनका समर्थन करना भाजपा की मजबूरी है. उन्हें यहां के झारखण्डी आदिवासियों और मूलवासियों से कोई लेना देना नहीं है. इसी कुचरित्र की वजह से भाजपा को सूबे की जनता ने सिरे से खारिज कर उखाड़ फेंका है. इस चरित्र की वजह से आने वाले समय में भाजपा का और भी बुरा हश्र होगा. झामुमो आंदोलन की उपज है. यह पार्टी नहीं बल्कि झारखण्डी भावना की अभिव्यक्ति है. भाजपा हो या टाटा प्रबंधन, झामुमो किसी भी गीदड़ भभकी से डरने वाली नहीं है और अपने स्टैंड पर कायम है. उन्होंने टाटा प्रबंधन पर भी जमकर बरसते हुए दो टूक चेतावनी दे डाली, कि पैन स्थानांतरण और न्यायिक क्षेत्र को महाराष्ट्र शिफ्ट किए जाने के प्रबंधन के निर्णय को हर हाल में बदलना ही होगा. साथ ही अन्य सभी मांगों के अक्षरशः पूर्ण नहीं होने तक झामुमो किसी भी कीमत पर पीछे हटने वाली नहीं है. झारखण्डी आदिवासियों और मूलवासियों की भावनाओं एवं हितों की रक्षा के लिए झामुमो किसी भी हद तक जा सकती है. टाटा प्रबंधन जितनी जल्दी हो सके उक्त मांगों पर यहाँ की भावनाओं के अनुरूप फैसला ले अन्यथा और भी उग्र आंदोलन किया जायेगा. आवश्यकता पड़ी तो यह आंदोलन राज्यव्यापी हो सकता है. झामुमो झारखण्डी भावनाओं और हितों से खिलवाड़ किसी भी हाल में बरदाश्त नहीं करेगी. झारखण्डी आदिवासी और मूल निवासियों का जनसैलाब झामुमो की अगुवाई में सड़क पर उतरकर टाटा के विरुद्ध आंदोलन करने को बाध्य होगी. इसकी संपूर्ण जवाबदेही टाटा प्रबंधन की होगी.

