भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय की परामर्श दात्री समिति की बैठक शुक्रवार को तिरुपति के होटल ताज में संपन्न हुई. इस बैठक में मुख्य रूप से इस्पात उद्योग की वर्तमान स्थिति पर चर्चा हुई. बैठक में सांसद विद्युत वरण महतो ने भाग लिया एवं कहा कि वे इस समिति का विशेष रुप से अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद देना चाहते हैं. जिन्होंने गत 6 मई की बैठक में उनके द्वारा दिए गए सुझाव को सरकार के पास प्रेषित किया. इस सुझाव को सरकार ने लागू भी कर दिया गया है.
उल्लेखनीय है विगत बैठक में सांसद ने इस्पात के बढ़ते मूल्य पर अपनी चिंता जाहिर की थी और बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए इस्पात पर आयात कर घटाने का सुझाव दिया था एवं निर्यात कर को बढ़ाने का अनुरोध किया था. इससे ना केवल इस्पात के बढ़ते मूल्य पर लगाम लगेगा बल्कि स्थानीय एमएसएमई उद्योग एवं निर्माण क्षेत्र से संबंधित उद्योगों को राहत मिलेगी. भारत सरकार ने इस सुझाव को लागू भी किया जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं. सांसद ने आज की बैठक में इसके लिए वित्त मंत्री के प्रति भी आभार प्रकट किया. बैठक में उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि इस्पात के उत्पादन में कार्बन के उत्सर्जन को कम करने के लिए स्क्रैप के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्रत्येक राज्य में स्क्रैपयार्ड की स्थापना की जाए और इस्पात के स्क्रैप के लिए एक नई नीति की घोषणा की जाए. उन्होंने यह भी कहां की विश्व के विकसित देशों तथा यूएसए, जर्मनी, इंग्लैंड और जापान आदि देशों में स्क्रैप का उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है इसका विस्तृत अध्ययन किया जाना आवश्यक है. सांसद श्री महतो ने कहा कि स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा एवं उसके अनुरूप कार्य होने पर रोजगार सृजन का एक नया मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने टाटा स्टील का उदाहरण देते स्पष्ट किया है कि प्राइवेट सेक्टर में टाटा स्टील ने इस दिशा में सार्थक कदम उठाएं हैं. उन्होंने कहा स्टील के उत्पादन में कार्बन का उत्सर्जन कम से कम हो यह आज की बहुत बड़ी चुनौती है. सांसद श्री महतो ने यह भी कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस अमृत महोत्सव में प्रत्येक जिला में 75 अमृत सरोवर का निर्माण किया जाना है. इस कार्य को सीएसआर के माध्यम से किया जाना चाहिए. उन्होंने झारखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां 24 में से 18 जिले आकांक्षी जिला के अंतर्गत आते है इन आकांक्षी जिलों में बहुत ऐसे स्थान है जहां पर पीने का शुद्ध पेयजल भी उपलब्ध नहीं है. उन स्थानों पर भी सीएसआर के तहत कार्य किया जाना चाहिए. उन्होंने विशेष रूप से किरीबुरू, मेगाहातुबुरु, चिड़िया माइंस क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में आज भी लोग लाल पानी पीने को विवश हैं. बैठक के अंत में समिति के अध्यक्ष केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री आरसीपी सिंह ने विगत शिमला बैठक की चर्चा करते हुए कहा, कि जिस प्रकार विगत बैठक में सांसद श्री महतो ने सुझाव दिया और उस सुझाव को सरकार ने अमल में लाया इससे यह साबित होता है कि समिति की बैठक काफी उपयोगी और सार्थक सिद्ध हो रही है.
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