जमशेदपुर (Charanjeet Singh)
टाटानगर रेलवे अस्पताल से अब बुखार, उल्टी, पेट दर्द व लूज मोशन से पीड़ित मरीजों को अनुबंधित अस्पताल में रेफर नहीं किया जाएगा. रेलवे अस्पताल के डॉक्टर ही इलाज कर स्वस्थ करने का प्रयास करेंगे, क्योंकि दक्षिण पूर्व जोन रेफरल अस्पतालों का खर्च कम करने में जुटा है.
इससे कर्मचारियों व उनके परिजनों को गंभीर स्थिति में ही रेलवे अस्पताल से कहीं रेफर किया जाएगा. रेफर सुविधा में कटौती को लेकर जोन के मुख्य चिकित्सा निदेशक डॉ. मिहिर कुमार चौधरी ने 22 जुलाई को पत्र जारी किया है. वहीं, मंडल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को रेफरल व्यवस्था पर नजर रखने का आदेश दिया है. इससे रेलकर्मियों में आक्रोश है. इधर, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे के संयुक्त महासचिव एसआर मिश्रा ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा रेलवे पहले अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर, पारा मेडिकल कर्मचारी और चिकित्सा संसाधन बढ़ाए, इसके बाद रेल कर्मचारियों की रेफरल सुविधा में कटौती करे. उन्होंने कहा कि चक्रधरपुर मंडल के किसी अस्पताल में क्षमता के अनुरूप डॉक्टर और कर्मचारी नहीं हैं. भुगतान नहीं होने के कारण टाटानगर रेलवे अस्पताल में करीब डेढ़ महीने मरीजों को खाना-नाश्ता नहीं मिला. एंबुलेंस संचालक परिचालन बंद करने की धमकी देता है. ऐसे में रेलवे का आदेश कर्मचारी विरोधी व अधिकार पर पाबंदी है. जानकारी के अनुसार जून में रेलवे के रांची व गार्डनरीच स्थित अनुबंधित अस्पतालों से रेपर केस का बिल ज्यादा आया है. इसे नियंत्रित करने के लिए रेलवे जोन ने सभी मंडल में पत्र भेजा है, ताकि कम मरीजों को रेलवे अस्पताल से दूसरे अनुबंधित अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा जाए.