सोनुआ (Jayant Pramanik) स्वतत्रता सेनानी वीर शहीद राजा अर्जुन सिंह को सहादत दिवस पर चक्रधरपुर में याद किया गया. इसको लेकर शहर के चेकनाका के पास बाल उद्यान परिसर में समारोह का आयोजन किया गया और श्रद्धांजलि दी गयी. मौके पर वीर शहीद राजा अर्जुन सिंह के प्रतिमा पर जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, सामाजिक कार्यकर्ता और शहर के लोगों ने बारी-बारी कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया.
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पूर्व विधायक शशि भूषण सामड पहुंचे
पूर्व विधायक शशि भूषण सामड ने कहा कि 3 मार्च 1890 को पोड़ाहाट के महाराजा अर्जुन सिंह बनारस जेल में बंदी रहते हुए शहीद हो गए थे. आज की युवा पीढ़ी को उनके मार्ग पर चलकर देश को बचाना सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
ये है उनकी वीर गाथा
देश के स्वतंत्रता की लड़ाई में उन्हें बनारस जेल में राजबंदी के रूप में 30 साल तक कैद रखा गया था. कैदी के रूप में ही वे शहीद हुए थे. राज परिवार के सदस्य ऋषिकेश सिंहदेव ने कहा कि जब पूरे देश में अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 में गदर फैला था. ज्यादातर राजा महाराजा अंग्रेज के आगे नतमस्तक होकर गुलामी स्वीकार ली. तब वीर योद्धा पोड़ाहाट महाराजा अर्जुन सिंह अंग्रेजों के खिलाफ सिंहभूम की कोल, भुइयां, भूमिज, गोप आदि जाति के सैनिकों और प्रजा को लेकर लड़ाई जंगल- पहाड़ में रहकर लड़ी थी. दो से तीन साल तक लड़ाई चली थी. किला और जायदाद सब लूट लिये गये. परिवार बिखर गया था. इसी बीच अंग्रेजों ने धोखे में रखकर कराईकेला के नकटी में पोड़ाहाट महाराज को गिरफ्तार कर लिया था और उसी दिन से सिंहभूम में ब्रिटिशराज के विरुद्ध धधकती ज्वाला शांत हो गई. वे राजबंदी बना लिए गए. सारा राजपाट छिन्न- भिन्न कर दिया गया था. नेवी की मद्रास रेजिमेंट में पुराना बस्ती नदी पार स्थित गढ़धिपा को तहस- नहस कर ध्वस्त कर दिया था. महाराज जनता हित में बनारस जेल में राजबंदी के रूप में 30 साल तक घुटन की जिंदगी काल कोठरी में पूरी जवानी शहादत दे दिया. अंततः बनारस जेल में ही आजाद भारत का सपना लिये वीर योद्धा ने अंतिम सांस ली थी. वे लौटकर सिंहभूम नहीं आये. 30 साल सिंहभूम माटी के इज्जत, सम्मान, संस्कार के लिये युवा अवस्था को जेल में बिताया था.
ये थे मौजूद
इस मौके पर सदानंद होता, दिनेश जेना, अनूप सिंहदेव, ऋषिकेश सिंहदेव, सनी उरांव, जय कुमार सिंहदेव, रामलाल मुंडा, प्रवीर प्रताप सिंहदेव, वीरेंद्र सिंहदेव, भुवनेश्वर महतो, सिद्धार्थ सिंहदेव, संजीव सिंहदेव, निक्कू सिंह, राहुल आदित्य, इंद्रजीत सिंहदेव, कुलदीप सिंहदेव, अनिल सिंहदेव, बसंत महतो, राजीव सिंहदेव, हिमांशु प्रधान, गोनू जयसवाल, आशीष बर्मा आदि मौजूद थे.
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