सोनुआ/ Jayant Pramanik सोनुआ प्रखंड के अनेक मज़दूर रामचंद्रपोस मैदान में जन सभा कर मनरेगा पर हो रहे व्यापक हमलों पर चर्चा किए. शुक्रवार को मनरेगा दिवस पर झारखंड भर में झारखंड नरेगा वॉच के आव्हान पर हजारों मजदूर विरोध प्रदर्शन किए.

2024- 25 में मनरेगा के लिए आवंटित नरेगा बजट काफी कम होना ओर मजदूरों को पुरी काम ना मिलाना. जो मजदूर काम नही करते हे उनके नाम पे काम निकाला जाता है. जैसे समस्या को उजागर कर दिया है. यह वहीँ दूसरी ओर केंद्र सरकार ग्रामीण मज़दूरों के रोज़गार के जीवन रेखा को खात्म करने पर तुली हुई है. सभा में मज़दूरों ने पर्याप्त काम न मिलने और समय पर भुगतान न मिलने की जानकारी दिया. यह भी सोचने की बात है कि कानून लागू होने के 18 साल बाद भी समय पर भुगतान मिलना मज़दूरों के लिए सपने से कम नहीं है.सरकार द्वारा मज़दूरों से बंधुआ मज़दूरी करवाई जा रही है. प्रखंड व ज़िला में मनरेगा में व्यापक ठेकेदारी चल रही है.
मनरेगा की तुच्छ मज़दूरी दर, जो कि राज्य के न्यूनतम दर से बहुत कम है, फिर भी सरकार की मज़दूर विरोधी मंशा को दर्शाती है. सरकार ने 2023-24 में हाजरी के लिए एक मोबाइल एप-आधारित व्यवस्था – एन एम एम एस ( नेशनल मोबाईल मॉनिटरिंग सिस्टम) – को अनिवार्य किया है जिससे मज़दूरों के काम और भुगतान के अधिकार के उल्लंघन के साथ-साथ व्यापक परेशानी हो रही है. पिछले कुछ सालों में मनरेगा को ऐसी तकनीकि जाल में फंसाया गया है कि मज़दूरों के लिए पारदर्शिता न के बराबर हो गयी है एवं स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही भी ख़तम हो गयी है. ऐसा लगता है कि मोदी सरकार केवल मनरेगा नहीं बल्कि मनरेगा मज़दूरों को ही ख़तम करना चाहती है. झारखंड के सोनुआ प्रखंड के मनरेगा मज़दूर, खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम ओर झारखंड नरेगा वॉच की ओर से केंद्र सरकार से मांग किया गया कि मनरेगा को ख़तम करने की न सोचे एवं मनरेगा को पूर्ण रूप से लागू करे व निम्न मांगों पर कार्यवाई करे:
• मनरेगा के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन किया जाए ताकि सभी मज़दूरों को कम-से-कम 100 दिनों का काम मिले.
• ऐप-आधारित उपस्थिति प्रणाली (एनएमएमएस ) को रद्द किया जाए.
• मनरेगा मज़दूरी दर को सातवे वेतन आयोग के सिफारिशों अनुसार न्यूनतम मज़दूरी दर (महंगाई दर को जोड़ते हुए) के बराबर (800रु प्रति दिन) किया जाए.
• किसी भी परिस्थिति में 7 दिनों के अन्दर मज़दूरी भुगतान सुनिश्चित किया जाए. सभी लंबित भुगतान का मुआवज़ा सहित भुगतान किया जाए.
• मनरेगा से तकनीकि प्रणाली को हटाया जाए एवं पहले के अनुसार विकेंद्रीकृत मैन्युअल व्यवस्था लागू की जाए.
. सामाजिक अंकेक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए.
आज के आयोजन में मज़दूरों के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम के प्रतिनधि शामिल थे. कार्यक्रम में तरावती नायक, मनोज नायक, , कौशल्या हेंब्रम, रामचंद्र माझी, संदीप प्रधान, मानकी हेम्ब्रोम, सुनीता बैंकिरा,ललिता माझी समेत कई लोगों ने अपनी बात रखी.
