सोनुआ/Jayant pramanik खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम का प्रतिनिधिमंडल ने मगंलवार को ज़िला के उपायुक्त अनन्य मित्तल से मिला. इस दौरान मंच की ओर से जिला में जन अधिकारों के लगातार उल्लंघन व कल्याणकारी कार्यक्रमों व सेवाओं से संबंधित समस्याओं के निराकरण की मांग की गई. मंच ने इनसे संबन्धित शिकायत व आवेदन प्रखण्ड व संबन्धित पदाधिकारियों को कई बार दिया है लेकिन अधिकांश शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हुई है.
उपायुक्त ने मुद्दों व मांगों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया. उपायुक्त को मांग पत्र दिया गया. मंच के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि कई प्रखण्डों (सोनुआ, तांतनगर, मंझरी, खूंटपानी आदि) से बकाया मनरेगा मजदूरी भुगतान व बेरोज़गारी भत्ता का आवेदन कई बार प्रखण्ड व उपविकास आयुक्त को दिया गया है. बावजूद कई महीनों के बाद भी लंबित है. मंच ने मांग की कि मनरेगा मज़दूरों को मुआवजा सहित लंबित भुगतान एवं बेरोजगारी भत्ता का भुगतान सुनिश्चित किया जाए.
प्रतिनिधिमंडल ने ज़िले के आंगनवाड़ी सेवाओं की दयनीय स्थिति को भी साझा किया. मंच के सर्वेक्षण में पाया गया था कि कि केवल 55 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्र नियमित रूप से खुलते हैं एवं केवल उन केन्द्रों में सेविका नियमित रूप से उपस्थित रहती है. केवल 17 प्रतिशत केन्द्रों में ही बच्चों को नियमित रूप से शिक्षा मिल रही है. अनेक केन्द्रों में सिर्फ हल्दी, चावल और थोड़ी सी दाल मिलाकर खिचड़ी ही दी जाती है. जिला को इस विषय में अवगत कराने के बावजूद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. कई सुदूर गावों, जहां के बच्चे आंगनवाड़ी सेवाओं से वंचित हैं. आंगनबाड़ी के आवेदन पर कार्रवाई महीनों से लंबित है. व्यापक कुपोषण वाले जिला के लिए यह चिंताजनक स्थिति है.
उपायुक्त का ध्यान इस बात पर भी केन्द्रित किया गया कि जिला में अधिकांश ठेकेदारी योजनाओं जैसे पीसीसी सड़क, भवन निर्माण, नल-जल योजना, डीएमएफ योजना में मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दर नहीं दी जा रही है. कई बार इससे संबन्धित शिकायत भी की गयी है, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. इस पर तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है. मंच ने वर्तमान में चल रहे बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र अभियान में हो रही समस्याओं को भी साझा किया.
मंच की ओर से बताया गया कि 30 दिनों के पहले हुए जन्म के लिए कोर्ट से एफ़िडेविट मांगा जा रहा है जो सुदूर गावों के लोगों के लिए बनवाना बहुत मुश्किल व महंगा है. 1-5 कक्षा के बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र को अनिवार्य बोला जा रहा है जिसके कारण अनेक बच्चे शिक्षा से वंचित होने के कगार पर हैं. प्रतिनिधिमंडल ने मांग किया कि साप्ताहिक प्रखंड स्तरीय कैंप का आयोजन किया जाए जिसमें मजिस्ट्रेट की नियुक्ति हो जो निःशुल्क एफिडेविट बना देंगे.
इसके अलावा अन्य समस्याओं से उपायुक्त को अवगत कराते हुए मंच ने मांग की कि डीएमएफ का इस्तेमाल मुख्यतः कुपोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा व रोज़गार के मुद्दों के निराकरण के लिए हो न कि केवल भवन, सड़क निर्माण कार्यों व ठेकेदारी के लिए. साथ ही, डीएमएफ को कोश ग्रामसभा व ग्राम पंचायतों को दिया जाए ताकि वे योजनाओं का कार्यान्वयन कर सकें और न कि केवल लाइन डिपार्टमेंट व ठेकेदारों को. मंच ने नियमित रूप से डीएमएफ़ योजना के खर्च व कार्यान्वयन सम्बंधित जानकारी ग्रामसभा को देने एवं पंचायत व प्रखंड कार्यालयों में सार्वजानिक करने की भी मांग की. प्रतिनिधिमंडल में हेलेन सूंडी, जयंती मेलगंडी, कमला दास, मानकी तुबिड, नारायण कांडेयांग, संदीप प्रधान, रामचंद्र माझी समेत मंच के कई कार्यकर्ता शामिल थे.
Reporter for Industrial Area Adityapur