SARAIKELA DESK आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर एनडीए खेमे ने जहां प्रत्याशियों के नामों की लागभग घोषणा कर दी है. वहीं “इंडिया” खेमे में अभी सीटों का मसला भले तय हो गया है, लेकिन प्रत्याशियों के नामों पर गतिरोध बना हुआ है. आज हम एक ऐसे सीट की बात कर रहे हैं जिसपर “इंडिया” गठबंधन के पास कोई मजबूत दावेदार नहीं है. पहले यह सीट कांग्रेस के पास थी, और इस सीट से प्रचंड मोदी लहर में गीता कोड़ा ने जीत हासिल की थी. मगर पिछले दिनों गीता कोड़ा ने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया जिसके बाद “इंडिया” गठबंधन के पास इस सीट पर कोई दमदार प्रत्याशी नजर नहीं आ रहा है.
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*दशरथ गागराई रेस में*
अंदरखाने की माने तो खरसावां से दो बार विधायक रहे झामुमो के कद्दावर नेता दशरथ गागराई इस रेस में अपनी दावेदारी पेश कर सकते है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले दिनों उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से एनओसी की डिमांड की है. जिसके बाद राजनितिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है.
*मजबूत पक्ष*
खरसावां विधानसभा सीट से झामुमो के टिकट पर दो बार विधायक चुने गए. खास बात ये रही कि उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनाव में सिटिंग मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को हराया. उनके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के जवाहरलाल बानरा को हारकर खरसावां सीट पर जीत दर्ज की, जबकि अर्जुन मुंडा इसी सीट से चुनाव जीतकर तीन- तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. फिलहाल सिंहभूम संसदीय सीट के सभी छः विधानसभा सीटों पर “इंडिया” का दबदबा है. इस वजह से दशरथ गागराई की देवेदारी प्रबल मानी जा रही है.
*दशरथ क्यों ?*
दरसल सिंहभूम सीट पर “हो” जनजाति का दबदबा रहा है. इस गीता कोड़ा से पहले कांग्रेस के टिकट पर बागुन सुम्ब्रोइ पांच बार यहां से सांसद रहे. उसके बाद बीजेपी के लक्ष्मण गिलुआ ने जीत दर्ज की. एक बार जय भारत समानता पार्टी से मधु कोड़ा ने भी इस सीट पर जीत दर्ज किया है. खास बात ये है कि सभी “हो” समुदाय से आते है. सिंहभूम सीट पर हो समुदाय को साधने के लिए बीजेपी के पास कोई चेहरा नही था यही वजह रही कि उन्होंने गीता कोड़ा को अपने पाले में किया. दूसरी बड़ी वजह ये रही कि गीता कोड़ा का झामुमो में काफी विरोध था. झामुमो ने कई मंच से सिंहभूम सीट पर झामुमो की दावेदारी की जिसके बाद गीता कोड़ा ने बीजेपी का रास्ता चुना. वैसे यह सीट अब झामुमो के पास आ गयी है “इंडिया” गठबंधन के पास गीता कोड़ा के टक्कर का कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं है. चाईबासा से तीन बार विधायक रहे दीपक बिरुआ को छोड़ कोई भी गीता कोड़ा को टक्कर देने में सक्षम नहीं होगा. दीपक बिरुआ भी “हो” समुदाय से आते है. मगर दीपक बिरुआ को अभी चंपाई कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है. वे शायद लोकसभा चुनाव में जाने की भूल नहीं करना चाहेंगे. ऐसी परिस्थिति में दशरथ गागराई से बेहतर उम्मीदवार “इंडिया” के पास नहीं हो सकता है. दशरथ गागराई भी “हो” समुदाय से आते है. और अपनी बिरादरी पर इनकी जबरदस्त पकड़ है. इसके अलावे ईसाई मिशनरियों में भी गागराई की अच्छी पकड़ है. आपको बता दें कि सिंहभूम और खूंटी संसदीय सीट को मिशनरी फैक्टर भी काफी प्रभावित करता है. यही वजह है कि सिंहभूम संसदीय सीट से दशरथ गागराई को “इंडिया” खेमा प्रत्याशी बना सकता है. हालांकि झामुमो के लिए यह सीट अब प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. क्योंकि झामुमो की वजह से ही गीता कोड़ा ने कांग्रेस का साथ छोड़ा और बीजेपी में शामिल हुई ऐसा लोग कह रहे हैं. हालांकि लोग ये भी कहते सुने जा रहे हैं कि “इंडिया” यदि इस सीट पर मजबूती से लड़ गया तो गीता कोड़ा को हराना कठिन नहीं होगा.
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