DESK (Pramod Singh) झारखंड के पहले और देश के चौथे चरण के तहत होनेवाले लोकसभा चुनाव के प्रचार का शोर शनिवार को थम गया है. इसके साथ ही प्रत्याशी और कार्यकर्ता अब चुनावी गणित बिठाने की जुगत में भिड़ जाएंगे. खूंटी और सिंहभूम संसदीय सीट के लिए भी चुनावी शोर थम गया है. करीब डेढ़ महीने तक चले चुनावी शोर के बीच सिंहभूम और खूंटी की जनता की बुनियादी समस्याओं का जिक्र किसी ने नहीं किया.
पीएम से लेकर सीएम तक ने यहां चुनावी सभाएं की मगर इन सभाओं में न तो पलायन का मुद्दा उठा, न बेरोजगारी का. न सालों से निर्माणाधीन आमदा के अधूरे पांच सौ बेड के अस्पताल का मुद्दा उठा, न खरसावां में बंद पड़े अभिजीत कंपनी का मुद्दा उठा. मुद्दा उठा तो बाहरी- भीतरी, मंदिर- मस्जिद का उठा. मुद्दा संविधान बदलने का उठा. मुद्दा भगवान बिरसा को किसने कितना सम्मान दिया उसका उठा. किसी ने आदित्यपुर नगर निगम में पेयजल की समस्या के मुद्दे पर आवाज नहीं उठाया. किसी ने बंद पड़े फैक्ट्रियों के मुद्दे पर बात नहीं की. सिंहभूम हों या खूंटी बीजेपी प्रत्याशी मोदी के नाम का माला जपते रहे. जबकि इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी संविधान खतरे में है का नारा बुलंद करते रहे. खैर अब चुनावी शोर थम गया है. 13 मई को जनता अपना फैसला ईवीएम में कैद करेंगे. 4 जून को प्रत्याशियों के भाग्य का पिटारा खुलेगा.
अब देखना यह दिलचस्प होगा कि जनता किसे सर आंखों पर बिठाती है किसे तड़ी पार करती है. वैसे चाहे एनडीए हो या इंडिया दोनों ही सीटों पर मुकाबला कांटे का है. खूंटी में जहां राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री और दो बार केंद्रीय मंत्री रहे अर्जुन मुंडा एनडीए से चुनावी मैदान में हैं वहीं सिंहभूम से कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुई पूर्व सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की अर्धांगिनी गीता कोड़ा चुनावी मैदान में हैं. जबकि इंडिया गठबंधन से खूंटी से कालीचरण मुंडा और सिंहभूम से पांच बार मनोहरपुर की विधायक और तीन बार मंत्री रही जोबा माझी चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावे कुछ और भी प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं मगर मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया के बीच ही होगा. वैसे सभी प्रत्याशी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.