सरायकेला : जिला के चांडिल अनुमंडल अंतर्गत दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की चोटी पर अवस्थित दलमा बूढ़ा बाबा का प्रसिद्ध मंदिर, झारखंड ही नहीं पड़ोसी राज्य के लोगों की भी आस्था का केंद्र है. पत्थर की गुफा के अंदर स्थित इस मंदिर में झारखंड राज्य के साथ पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, बिहार, छत्तीसगढ़ श्रद्धालु आते हैं. इन राज्यों से श्रद्धालु मन्नत मांगने और पूजा अर्चना करने यहां पहुंचते हैं. श्रावण के महीना और शिव रात्रि में यहां बड़ी संख्या में भक्त जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करते हैं.
यहां साल के 365 दिन देश-विदेश से पर्यटक आते रहते हैं. दलमा भ्रमण के साथ बाबा के दर्शन के लिए लोगो का हुजूम लगा रहता है.
यहां हरी-भरी मनोरम वादियों की दृश्य मन को मोह लेता है, जिस कारण इन वादियों में पर्यटक और भक्त बार-बार पहुंचते हैं. क्या वर्षा, ठंडा, गर्मी सभी सीजन में भक्तों का आवागमन यहां लगा रहता है. दलमा की चोटी पर बादल और ठंड का भी अनुभव रहता है. दलमा बाबा की गुफा में पहुंचने के लिए एनएच 33 फदलोगोड़ा टीसीआई होते जंगल से होकर भक्त पहाड़ पर चढ़ते हैं. श्रावण माह और शिव रात्रि में साथ ही नीमडीह थाना के डाहुबेड़ा, गुमांडीह , चालियामा होते पैदल भक्तो जंगल की बिहोड़ो से निडरता से गज परियोजना में हाथी ,रॉयल बंगाल टाईगर,भालू ,निशाचर वन्य जीवजंतु के सांप बिच्छू की भय को दूर किनारे करके बाबा का जयकारा देते हुए भक्तो श्रद्धालु रात्रि में चढ़ना शुरू कर देते हैं और बाबा के दरबार में पहुंचते हैं. फिर पूजा अर्चना के साथ मन्नत मांगते हैं. मान्यता है कि सभी भक्तों की मन्नत बाबा पूरी करते हैं.
दलमा वन क्षेत्र के पश्चिम चांडिल के मकुलाकोचा चेकनाका में श्रावण की महीना में दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी 193, 22 वर्ग क्षेत्र में फैले है, जहां विभिन्न प्रकार के वन जीवजंतु से भरे हुए हैं. इस बिहड़ को देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक पहुंचते हैं. यहां जाने के लिए ,बड़ी गाड़ी 80/100 रुपया वन एवं पर्यावरण विभाग को पर्यटक द्वारा उपलब्ध करा दिया जाता है. वन विभाग द्वारा मंदिर परिसर में बड़े बड़े वॉच टावर का निर्माण किया जा रहा है. यहां देवड़ी मंदिर, जयदा शिव मंदिर ,ओर हाथिखेड़ा मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में बढ़ावा दिया गया.
दलमा में अनेकों देवी देवताओं का मंदिर है. टाटा रांची मुख्य राज्य मार्ग एन एच 33 से महज 30 से 35 किलोमीटर दूरी दलमा बाबा गुफा के अंदर ,राम मंदिर ,मातादुर्गा , ओर चोटी के ऊपर हनुमान जी की मंदिर , तीन किलोमीटर जंगल के नीचे गणेश जी का मंदिर, एक किलोमीटर दूरी पर दलमा माता मंदिर है, आदिवासी समुदाय द्वारा जंगल के बिहड़ों में माता कोटासिन्नी मंदिर है जहां माता की परम्परागत पूजा-अर्चना की जाती है. इस क्षेत्र में अन्य लोगों का प्रवेश वर्जित रहता है. यह क्षेत्र वन एवं पर्यावरण विभाग और झारखंड पर्यटन विभाग की उपेक्षा की शिकार हुआ दलमा बाबा का मंदिर पर सरकार ध्यान देती तो पर्यटक स्थल के रूप में यह जाना जाता. अब इस मंदिर परिसर में आटा बाबा के अलावा और कोई साधुसंत नहीं रहते हैं. दलमा पाठ शिवधाम सेवा समिति द्वारा देखरेख की जाती है.