चक्रधरपुर/ Ashish Kumar Verma सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों में बिना जागरुकता के बदलाव लाना संभव नहीं है. यह बातें पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सेंगल सालखन मुर्मू ने कहीं. वे सोमवार को चक्रधरपुर के भारत भवन के समीप रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि सेंगेल ने 15 जून को भारत बंद को सफल बनाया, अब संताल हूल दिवस 30 जून को कोलकाता के बिग्रेड परेड मैदान में होने वाले सरना धर्म कोड जनसभा को सफल बनाना है. इसे लेकर जगह-जगह जाकर जन संपर्क किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आदिवासी समाज मरने की कागार पर है. सरना धर्म कोड, संताली राजभाषा, मरंगबुरु की वापसी, कुड़मी को एसटी बनाने, आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतंत्र व संविधान को लागू नहीं करने, असम, अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को एसटी नहीं बनाने, आदिवासियों का गढ़ झारखंड का लुटना मिटना खतरे की घंटी के समान है.
उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी ओर कोल्हान के प्रत्येक आदिवासी गांव समाज नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, द्वेष, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, वोट को हड़िया,दारु रुपयों आदि से खरीद बिक्री किया जाता रहा है. जिसे सुधारने की आवश्यकता है. परंपरा के नाम पर वंशानुगत नियुक्त मानकी, मुंडा, माझी परगना आदि इसे सुधारने की दिशा में बिल्कुल विफल है. अत: आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान के सभी आदिवासियों को एकजुट करने, ईसाई धर्मान्तरण रोकने व आवश्यक सुधार के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए सेंगेल मुंडा व सेंगेल मानकी आदि की नियुक्त को अनिवार्य एवं अपना दायित्व मानता है. मौके पर आदिवासी सेंगल अभियान की केन्द्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू, केन्द्रीय सेंगल संयोजक बिमो मुर्मू, कोल्हान प्रमंडल आदिवासी सेंगेल अभियान महिला मोर्चा की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू,कोल्हान प्रमंडल सेंगल अध्यक्ष सुबेदार बिरुवा, केन्द्रीय सेंगेल युवा अध्यक्ष तिलका मुर्मू, चक्रधरपुर प्रखंड सेंगल मानकी लक्ष्मी नारायण बोदरा,विजय कुमार हांसदा, खेलाराम माझी व अन्य मौजूद थे.