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सरायकेला: रक्तदान जीवनदान है. रक्तदान को महादान कहा जाता है. मगर इसकी सार्थकता तभी सही मायने में कारगर होता है, जब आपातकाल के वक्त जरूरतमंद को सही समय पर रक्त की उपलब्धता हो पाती है. यहां बात कर रहे हैं सरायकेला- खरसावां जिले की. जहां एक लंबे प्रयास के बाद जिले में एकमात्र ब्लड बैंक की स्थापना की गई है. जो बीते वर्ष मार्च महीने से सुचारू रूप से सदर अस्पताल प्रांगण में संचालित है. मगर 300 यूनिट की क्षमता वाले ब्लड बैंक में अब तक सबसे अधिक 45 यूनिट ब्लड स्टोरेज रह पाया है. बता दें कि जिलेभर में आए दिनों विभिन्न संस्थाओं द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों का आयोजन समाजसेवा की दृष्टि से किया जाता रहा है, और ऐसे स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों से सरायकेला ब्लड बैंक को ब्लड की प्राप्ति आंशिक रूप से ही हो पाती है. जबकि किसी- किसी शिविर से तो कुछ भी नहीं. जबकि जिले में दो- दो रिकॉर्डधारी संस्था उद्गम और नरेंद्र मोदी फैंस क्लब द्वारा रक्तदान शिविर आयोजित कराया जाता है. बीते 2 महीने के ही आंकड़े देखे जाएं तो सरायकेला ब्लड बैंक से जरूरतमंदों को जून महीने में 64 यूनिट ब्लड और जुलाई महीने में 58 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराई गई है, लेकिन ब्लड बैंक में स्टोरेज इसके अनुपात में काफी कम रही है. इधर विभाग की माने तो जिले के रक्तदाताओं में रक्तदान को लेकर अन्य जिलों की अपेक्षा भारी जागरूकता है, परंतु जिले के रक्तदाताओं से रक्त का संग्रह कर पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जमशेदपुर ब्लड बैंक को भारी मात्रा में जाता है, जिस पर नियंत्रण को लेकर विभागीय पत्राचार भी सिविल सर्जन द्वारा किया गया है, बावजूद इसके बिना जिला प्रशासन को सूचना के जिले के रक्तदाताओं का रक्त विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से लगातार उक्त दोनों ब्लड बैंकों को जा रहा है.
सिविल सर्जन ने लिखे हैं दो पत्र
इस मामले को लेकर जिले के सिविल सर्जन ने दो बार पत्राचार किया है. पहला पत्र- बीते 31 जुलाई को तत्कालीन सिविल सर्जन द्वारा भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी सरायकेला- खरसावां के सचिव को पत्र लिखकर कहा गया था, कि ब्लड बैंक सदर अस्पताल सरायकेला के द्वारा आवश्यकतानुसार रक्त संग्रह करने के पश्चात ही अन्य संस्थान को रक्त संग्रह करवाना सुनिश्चित करेंगे.
दूसरा पत्र- बीते 31 जुलाई को ही तत्कालीन सिविल सर्जन द्वारा एमजीएम जमशेदपुर के अधीक्षक एवं जमशेदपुर ब्लड बैंक के प्रबंधक को पत्र लिखकर कहा गया था, कि सरायकेला- खरसावां जिले में उक्त दोनों के द्वारा पत्र जारी करने की तिथि से जितने भी ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाएगा, उसके आयोजन से पूर्व उसकी सूचना सिविल सर्जन को देने होंगे. साथ ही कैंप में संग्रह किए गए रक्त की पूर्ण विवरणी भी सिविल सर्जन को दिया जाना होगा.
वहीं सरायकेला ब्लड बैंक के शिव कुमार सिंह बताते हैं, कि जिले के ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में रक्त की उपलब्धता अति आवश्यक है. आए दिनों सड़क दुर्घटना के शिकार या अन्य कारणों से भी रक्त की डिमांड ब्लड बैंक से होती रही है. बहुत गंभीर मामलों को सरायकेला सदर अस्पताल से एमजीएम के लिए रेफर किया जाता है. जहां जिले से गए मरीजों को आवश्यकता अनुसार रक्त की उपलब्धता हो पाती है. इस प्रकार आंशिक रूप से जिले से रक्त के संग्रह में एमजीएम जमशेदपुर की आवश्यकता को माना जा सकता है, लेकिन जिले के ब्लड बैंक के लिए पर्याप्त मात्रा में ब्लड की उपलब्धता के बाद ही इसे देखा जाना चाहिए.
वहीं इस मामले में लैब टेक्नीशियन शिव कुमार सिंह ने बताया कि जिले के रक्तदाताओं में रक्तदान को लेकर भारी जागरूकता और उत्साह है, लेकिन रक्तदान से पहले रक्तदाताओं को समझना होगा, कि उनका रक्त कहां जा रहा है. उन्होंने सभी६ जिलावासियों और स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित करने वाले सामाजिक संस्थाओं से अपील की है, कि जिले में जिलेवासियों के लिए बने एकमात्र ब्लड बैंक को रक्तदान कर मजबूत बनाने में सभी अपना सहयोग प्रदान करें.
वहीं झामुमो प्रखंड अध्यक्ष सह विधायक प्रतिनिधि सोनाराम बोदरा ने बताया कि जिले का एकमात्र ब्लड बैंक जरूरतमंदों के लिए सौगात के रूप में है. जिले के रक्तदाताओं का रक्त यदि जिले से बाहर जा रहा है, तो यह काफी अफसोसजनक है. जिस पर नियमानुसार तत्काल नियंत्रण होना चाहिए, और जिले के सभी जागरूक रक्तदाता एवं स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित करने वाली सामाजिक संस्थाएं जिले के ब्लड बैंक को पर्याप्त रक्त की उपलब्धता के साथ सुदृढ़ बनाने में सहयोग करें.
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