सरायकेला: एक अरसे के बाद सूबे के पारा शिक्षक एक बार फिर से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. इसी क्रम में एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की ओर से सभी प्रखंडों में पारा शिक्षकों को आगामी 31 अक्टूबर को प्रखंड स्तरीय बैठक करने का निर्देश जारी किया गया है. इसकी जानकारी देते हुए मोर्चा के जिला अध्यक्ष सोनू सरदार ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा पारा शिक्षकों के प्रति दमनकारी नीति के बाद जिस तरीके से हेमंत सरकार में शामिल तमाम घटक दल पारा शिक्षकों के हिमायती बन कर आगे आए थे, उससे राज्य भर के पारा शिक्षकों में सुरक्षित भविष्य को लेकर एक आस जगी थी, परंतु सरकार गठन के तकरीबन 2 साल बाद वह अब महज दिखावा साबित होने लगा है, क्योंकि वर्तमान सरकार विगत 2 वर्षों में पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान की दिशा में एक कदम भी नहीं चल पाई है. सेवा शर्त नियमावली के पूरे मामले पर मुख्यमंत्री की चुप्पी और शिक्षा मंत्री के पल-पल बदलते बयान और टालमटोल रवैया से पारा शिक्षक निराश और व्यथित हैं. ऐसा लगने लगा है कि वर्तमान सरकार भी पूर्ववर्ती सरकारों की राह पर ही चल पड़ी है. इसे देखते हुए राज्य भर के पारा शिक्षकों का धैर्य अब समाप्त हो चुका है. उन्होंने बताया कि पारा शिक्षक पूरी तरह से आक्रोशित होकर उबाल पर हैं. पंचायत चुनाव की आचार संहिता को नजदीक देखते हुए एक बार फिर मोर्चा ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए निर्णायक आंदोलन का बिगुल फूंकने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि आंदोलन की तैयारी को लेकर आगामी 31 अक्टूबर को जिले के सभी प्रखंडों में पारा शिक्षक बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनाएंगे. जिसके बाद जिला स्तरीय बैठक में तमाम प्रखंडों से रायशुमारी कर प्रदेश नेतृत्व को आंदोलन के प्रारूप से अवगत कराया जाएगा. उन्होंने कहा है कि पारा शिक्षकों के आक्रमक तेवर और चट्टानी एकता सरायकेला- खरसावां जिले की पहचान रही है. और एक बार फिर से हक एवं अधिकार की लड़ाई में जिला अग्रणी भूमिका निभाएगा.
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