सरायकेला/ Pramod Singh समहारणालय सभागार में मंगलवार को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों का एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया गया. उक्त कार्यशाला का शुभारम्भ उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला एवं पुलिस अधीक्षक डॉ विमल कुमार ने द्वीप प्रज्वलित कर किया.
उक्त कार्यशाला मे उप विकास आयुक्त प्रवीण कुमार गागराई, पुलिस उपाधीक्षक चन्दन कुमार वत्स, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा एवं अन्य सभी सम्बन्धित पदाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी उपस्थित रहे.
बैठक के दौरान पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय द्वारा जेजे एक्ट एवं डालसा सचिव कांति प्रसाद द्वारा पोस्को एक्ट के बारे मे विस्तृत जानकारी दी गई. कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि प्रशिक्षण कार्यशाला में समय का सदुपयोग करते हुए एक्ट के प्रवधान को समझे ताकि बच्चों की मदद की जा सके. उपायुक्त ने कहा बच्चो द्वारा किए जा रहे अपराध एवं बच्चों पर हो रहे अत्याचार पर बाल अधिकार अधिनियम के तहत प्रोटोकोल फॉलो करे.
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि बच्चे समाज की अगली पीढ़ी होते है, इनके साथ संवेदनशील होकर सेंसेटिव पुलिसिंग का उदाहरण प्रस्तुत करे, ताकि बच्चे में डर नहीं हो एवं बच्चो को भरोसा रहे कि पुलिस हमारी मदद करेगी.
जेजे एक्ट व पोक्सो एक्ट पर जानकारी देते हुए बताया गया कि यौन शोषण व बच्चों के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. हमें अपने बच्चों को अच्छे व बुरे स्पर्श की पहचान परिवार से ही सिखानी चाहिए. उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र के लड़के व लड़कियां इस कानून की मदद ले सकते हैं. बच्चे हमारे देश की अमूल्य सम्पत्ति है. बच्चों के साथ कोई उत्पीड़न होने पर एफआईआर दर्ज करें.
कार्यशाला में पुलिस उपाधीक्षक ने जेजे एक्ट के प्रवधान, एक्ट पर लगाए जाने वाली धाराओ, संम्प्रेक्षण गृह, विशेष गृह, सुरक्षित स्थान, बाल गृह इत्यादि के बारे मे विस्तृत जानकारी साझा किया.
कार्यक्रम में सभी को जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 की जानकारी दी गई व कहा गया कि बच्चो के सम्बन्ध में कोई भी घटना घटित होने पर बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई व चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर सम्पर्क करके सूचना दी जा सकती है.
वहीं डालसा सचिव ने पोस्को अधिनियम 2012 पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें इस तरह के मामले दर्ज होने के बाद मामलों से कैसे निपटा जाना चाहिए, इसकी प्रक्रिया पर गहन चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि सीडब्ल्यूसी बोर्ड के सदस्यों की अनुशंसा पर डालसा द्वारा कानूनी सहायता, मुआवजा और सहायता प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा कि एफआईआर और मेडिकल रिपोर्ट जमा होने के बाद अदालत में अंतरिम मुआवजे के लिए आवेदन किया जा सकता है .