सरायकेला: क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट राज्य में वर्ष 2014 से लागू है, लेकिन अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है. क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का अनुपालन नहीं होने पर संचालक को कारावास व 5 लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है. एक्ट के तहत सभी अस्पतालों का निबंधन आवश्यक है और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों से ही कार्य लेना है. इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण परिषद आदित्यपुर से सीटीओ प्राप्त करने को कहा गया है.
यह जानकारी गुरुवार को सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में जिले में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 का उन्मूखीकरण एवं सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने पर हुई कार्यशाला में दी गयी. इसमें जिले के सभी निजी अस्पताल, पैथोलॉजी सेंटर, अल्ट्रासाउंड क्लिनिक व नर्सिंग होम के संचालक मौजूद थे. राज्य नोडल पदाधिकारी डॉ. सीपी चौधरी एवं क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट के राज्य समन्वयक राहुल कुमार सिंह द्वारा सभी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम एवं पैथोलॉजी सेंटर को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के संबंध में जानकारी देते हुए इसका पालन करने का निर्देश दिया गया. निजी अस्पताल, नर्सिंग होम एवं पैथोलॉजी सेंटर के संचालकों को कहा गया कि वे अपनी व्यवस्था में सुधार लाएं तथा क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अनुरूप कार्य करें. जैव अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन नियम के अनुसार करने का निर्देश दिया गया है. अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी लेने को कहा गया. अस्पताल में भर्ती सभी रोगियों को शुद्ध भोजन एवं पेयजल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया. अस्पताल परिसर की साफ-सफाई एवं स्वच्छता का नियमित अनुसरण करने को कहा गया. इनडोर में रोगियों के इलाज का अभिलेख 5 वर्षों तक सुरक्षित रखने को कहा गया. कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार, डीपीएम निर्मल दास, डीडीएम साजिद इकबाल एवं घनपत महतो समेत अन्य उपस्थित थे.