भले सरायकेला- खरसावां जिले की छुटनी महतो को डायन उन्मूलन के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया हो, लेकिन समाज से इस कुप्रथा का उन्मूलन संभव नहीं. जिस सरायकेला- खरसावां जिले की छुटनी महतो को डायन उन्मूलन की दिशा में काम करने के लिए पद्मश्री मिला है, उसी छुटनी महतो के गृह जिले के ग्रामीण इलाकों में डायन प्रथा बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है.
इसका सबसे ज्यादा प्रभाव सुदूर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलता है. डायन- बिसाही के मामले सरायकेला जिले में आज भी सुनने को मिल रहा है. फिर छुटनी को सम्मान का क्या औचित्य रह जाता है, जब उसके गृह जिले में ही डायन- बिसाही के मामले सामने आते रहे. सरायकेला के गम्हरिया प्रखंड के बीरबांस स्थित परिवार परामर्श केंद्र जिसका संचालन खुद छुटनी महतो करती है, यहां से छुटनी ने सैकड़ों डायन पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिला चुकी है. छुटनी भले आज देश और राज्य की आइकॉन बन चुकी है, मगर छुटनी को न जाने क्यों ऐसा लगता है कि उसका सपना अभी भी अधूरा है. परिवार परामर्श केंद्र बीरबांस में तीन मामले ऐसे पहुंचे जिसे देख छुटनी दुःखी है. पहला मामला बसंती नायक का है, सरायकेला थाना अंतर्गत गोविंदपुर गांव की महिला ने बताया कि गांव में उसे डायन बताकर प्रताड़ित किया जा रहा है, पुलिस से जब इंसाफ नहीं मिला तो वह यहां पहुंची और छुटनी से मदद की गुहार लगाई. दूसरा मामला कांड्रा थाना क्षेत्र के बुरुडीह गांव का है. जहां की एक महिला भारती देवी सिंह सरदार भी गांव वालों की प्रताड़ना से तंग आकर यहां इंसाफ की गुहार लगाने पहुंची. भारती की भी समस्या वही, कि गांव वाले उसे डायन कह कर प्रताड़ित कर रहे हैं. भारती के अनुसार उसने कांड्रा थाने में शिकायत भी दर्ज कराई, मगर उसकी नहीं सुनी गई और उस पर समझौता का दबाव बनाया जाने लगा. वहीं तीसरा मामला सरायकेला थाना क्षेत्र का ही है. जहां के रंगामटिया की शांति देवी नामक महिला ने भी ऐसा ही आरोप लगाया है. उसने भी ग्रामीणों द्वारा खुद को डायन बताकर प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया. तीनों ही मामलों में थाना की ओर से किसी तरह का कोई सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया. वहीं पद्मश्री छुटनी महतो ने बताया, कि तीनों महिला ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं हैं. जिसे डायन कहकर प्रताड़ित किया गया, एवं मारपीट कर लहूलुहान तक कर दिया गया. इन लोगों ने अपनी शिकायत संबंधित थाने में जाकर की. जहां से उसे न्याय नहीं मिला. किसी तरह तीनो महिलाएं मेरे पास पहुंची. फिलहाल तीनों को परिवार परामर्श केंद्र में रखा गया है. जिले के उपायुक्त और एसपी से मिलकर इनकी समस्याओं को रखा जाएगा, मगर संबंधित थानों को ऐसे गंभीर मामलों पर संवेदना दिखाने की जरूरत है. उन्होंने बताया, कि ग्रामीण क्षेत्र में डायन कहकर अपने स्वार्थ के लिए लोग महिलाओं और उनके परिवार को प्रताड़ित करते हैं. जब शिकायत लेकर थाना जाते हैं, तो वहां भी उनकी शिकायत नहीं ली जाती है. अगर महिलाओं को न्याय नहीं मिलेगा, तो इस अंधविश्वास को समाज से दूर कभी नहीं किया जा सकता.