सरायकेला: Pramod Singh जिले में किसके इशारे पर एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री हो रही है. इसे लेकर शराब के शौकीनों में काफी रोष है. इसको लेकर उत्पाद विभाग की बदनामी भी हो रही हैं, और जिले में खुलेआम शराब माफियाओं का खेल जारी है. जबकि नए उत्पाद आयुक्त द्वारा शराब की कीमत को कम किया किया गया है. बावजूद इसके जनवरी से ही पूरे राज्य में 10 से 50 रुपये तक शराब में खुलेआम बढ़ोतरी कर दी गई है. यह किसके इशारे पर हो रहा है यह बताने वाला कोई नहीं है.
किंग फिशर बीयर 180 में बेची जा रही
लोगों ने कहा कि किंगफिशर बीयर 160 रुपये एमआरपी होने के बाबजूद 180 में बेची जा रही है. इधर, उत्पाद आयुक्त द्वारा बार- बार प्राइस पर पूरे राज्य में निर्देश जारी किया गया है. ओवर प्राइस करने पर विभाग की ओर से कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया जाता है. पूरे जिले में शराब की कीमतें बढ़ा दी गई हैं. खुलेआम कभी भी किसी भी दुकान से खरीदारी की जा सकती है. रेट की बढ़ोतरी के बावजूद प्लेसमेंट एजेंसी पर कार्रवाई नहीं हो रही है. आखिर एजेंसी पर किसकी मेहरबानी है.
विभाग के सूत्रों की माने तो इस धंधे में एजेंसी के एरिया इंचार्ज बृजेश कुमार सिंह और उत्पाद विभाग के सब इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार यादव के इशारे पर यह धंधा चल रहा है.
लेकिन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की इसपर नजर नहीं है. उनसे पूछिये तो उन्हें शिकायतकर्ता चाहिए. अगर शिकायत भी करें तो, कार्रवाई के नाम पर दिखावे की डांट- फटकार तक ही कार्रवाई हो रही. नतीजा यह हो रहा है कि दूसरे ग्राहक फिर ऐसे दुकानदारों के शिकार बन रहे हैं.
पूरे जिले में एमआरपी से अधिक कीमत की वसूली अनवरत जारी है. अधिकारी जहां मस्त हैं, वहीं दुकानदार बेखौफ हैं. दुकानदार तो यहां तक कहते हैं कि उन्हें वसूली का आदेश है, इसलिए कर रहे हैं. कौन आदेश दिया है, यह स्पष्ट नहीं करते लेकिन यह स्वीकार करते हैं कि वसूली का पैसा ऊपर तक पहुंचता है. विभाग के अधिकारी का जवाब आता है कि लोग एमआरपी से अधिक कीमत न दें, अगर कोई दुकानदार वसूलता है तो उसकी शिकायत विभाग से करें. अधिक वसूली के चलते आए दिन शराब दुकानों पर तू- तू, मैं- मैं होती रहती है. खरीदनी शराब है, इसलिए कुछ लोग बात आगे नहीं बढ़ाते हुए लोक- लाज के चलते अधिक कीमत देकर वहां से खिसकना ही जरूरी समझते हैं.
जिले में किसी भी शराब की खुदरा दुकान में शराब लेने जाएं, वहां के दुकानदार अधिकार के साथ एमआरपी से अधिक कीमत मांग रहे हैं. दस, बीस रुपये से लेकर 50 रुपये तक की वसूली जारी है. उनका कहना है कि उत्पाद के सभी अधिकारियों को इसकी जानकारी है, जहां शिकायत करना है कर लें. मतलब साफ है कि अवैध वसूली का पैसा उत्पाद विभाग में नीचे से ऊपर तक बंट रहा है. हर दिन जिले में लाखों की वसूली जारी है.