Election Desk झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बुधवार को संपन्न हो गया. राज्य के 43 विधानसभा सीटों पर छिटपुट घटनाओं को छोड़ शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न हुआ. यह चुनाव कई मायनो में यादगार रहेगा. यहां हम बात करते हैं सरायकेला विधानसभा सीट की. झारखंड के सबसे हॉट सीटों में एक इस सीट पर दो बागियों की लड़ाई में वोटरों की जीत हुई है, जबकि दोनों ही प्रमुख दालों के कार्यकर्ताओं की नैतिक हार हुई है. ऐसा इसलिए कह सकते हैं कि दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं के भितराघात की चर्चा पूरे चुनावी प्रचार प्रसार से लेकर मतदान के दिन तक होती रही. गनीमत रही कि मतदाताओं ने अपने विवेक से बढ़चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया विधानसभा का मतदान प्रतिशत 71.54 फीसदी रहा. अब 23 नवंबर को आनेवाले परिणाम की बारी है.
अब बात करते हैं मतदान के बाद किसका पलड़ा भारी है. वैसे तो इसबार भितराघातियों की वजह से दोनों ही प्रमुख गठबंधन “एनडीए” और “इंडिया” का समीकरण गड़बड़ा रहा है मगर इस विधानसभा के तीन प्रखंड और दो निकायों की बात करें तो आदित्यपुर नगर निगम के मतदाताओं ने एक बार फिर से एनडीए प्रत्याशी पर भरोसा जताया है. हालांकि यहां आंकड़ा 80- 20 का रहा. 20 प्रतिशत में 5 प्रतिशत जेएलकेएम के पक्ष में जाता नजर आ रहा है. वहीं गम्हरिया प्रखंड की अगर बात करें तो यहां भी कमोबेश स्थिति ऐसी ही है. यहां जेएलकेएम को थोड़ी बढ़त मिलने की संभावना रहेगी. एनडीए यहां भी भारी पड़ता नजर आ रहा है. इसी तरह सरायकेला नगर और प्रखंड में 60- 40 का आंकड़ा रहने की संभावना है. जबकि राजनगर में मुकाबला कड़ा है. यहां 50- 50 का मुकाबला होने की संभावना बनती नजर आ रही है. यहां जेएलकेएम दोनों ही प्रमुख गठबंधन का समीकरण बिगाड़ सकता है. वैसे सभी दल अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं. कुल मिलाकर कहें तो मुकाबला एक तरफा नहीं होने जा रहा है. वैसे भी सरायकेला सीट पर शुरू से ही हार- जीत का अंतर बेहद ही मामूली रहा है. जेएलकेएम की वजह से एनडीए को थोड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है मगर यदि आदित्यपुर नगर निगम ने बड़ी बढ़त दिला दी तो एनडीए प्रत्याशी की जीत तय है.
चंपाई के कुदरों ने संभाला मोर्चा
राजनीति के दिग्गज चंपाई सोरेन ने बीजेपी में शामिल होने के बाद भी आंख मूंदकर भाजपाइयों पर भरोसा नहीं किया. क्योंकि उन्हें पता था कि भाजपाइयों की फितरत में भितराघात रही है इसी वजह से पिछले बीस वर्षों से भाजपा इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी है. इस बार भी ऐसी परिस्थितियों बन चुकी थी इसकी भनक चंपाई को लग चुकी थी और ऐसा हुआ भी. उन्होंने विश्वस्तों को गोपनीय तरीके से सक्रिय रखा था जो एन मौके पर कारगर साबित हुए और अंतिम समय में सारे डैमेज को कंट्रोल करते हुए पूरी कमान अपने हाथों में ले लिया और मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने में सफल हुए. यही हाल इंडिया गठबंधन की भी रही. यहां जेएमएम- कांग्रेस और राजद के जमीनी कार्यकर्ता हाशिये पर रहे और प्रत्याशी के भाजपाई समर्थक सक्रिय रहे. कुल मिलाकर झारखंड लोकतांत्रिक गठबंधन का वोट बिखराव नहीं हुआ जो दोनों ही गठबंधन के लिए सिरदर्द बन चुका है. अब 23 नवंबर को फैसला आने के बाद ही पता चल सकेगा कि जनादेश किसे मिला है, मगर इतना तय हो गया है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में सरायकेला की जनता की जीत हुई है. राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की करारी हार हुई है.
Note: यह रिपोर्ट हमारी टीम द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर तैयार की गई है. इसे राजनीतिक दुर्भावना से ग्रसित न समझा जाये