सरायकेला/ Pramod Singh मंगलवार को मां विपदतारिणी की पूजा पूरे विधि- विधान से की गई. इस दौरान सुबह से ही महिलाओं की भीड़ मौसी बाड़ी मंदिर में उमड़ने लगी. जहां महिलाओं ने उपवास रखकर 13 प्रकार के फल, फूल, मिष्ठान का भोग लगाकर पूरे भक्ति भाव से पूजा की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां विपदतारिणी के जयकारे भी लगाए.
जय मां विपदतारिणी के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा. जानकारी हो कि मां विपदतारिणी की पूजा रथ यात्रा के बाद मंगलवार व शनिवार को होती है. अपने संतान तथा परिवार के सुख- समृद्धि की कामना केे साथ ही एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर सदा सुहागन बने रहने की भी कामना की. वही पुजारियों ने भी श्रद्धालु महिलाओं की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर हर विपत से दूर रहने का आशीर्वाद दिया.
वैसे बंगाली समुदाय की महिलाएं विशेष रूप से मां विपदतारिणी की पूजा- अर्चना करती हैं. मान्यता है कि मां की भक्ति भाव से पूजा करने से परिवार में आनेवाली विपत्ति स्वतः समाप्त हो जाती है. मंगलवार को सरायकेला के मौसी बाड़ी मंदिर में घंटों कतार में अपनी बारी का इंतजार करते श्रद्धालुओं को देखा गया. मां की पूजा अर्चना में मौसमी फलों के साथ- साथ लाल धागे में बंधा हुआ दूब घास की अलग ही महत्ता मानी जाती है.
ऐसा कहा जाता है कि इस पूजा को करने से घर- परिवार में आए संकट दूर हाेते हैं. इस पूजा को माताएं करती हैं. माताएं अपने घर के प्रत्येक सदस्य के नाम पर बाजू में बांधने के लिए अलग- अलग डाेर को पूजा स्थल पर रखती हैंं. पूजा के पश्चात माताओं द्वारा इस डाेर को प्रत्येक सदस्य के बाजू में बांधा जाता है.
मां दुर्गा के 108 रूपों में एक है विपदतारिणी
महिलाएं अपने सुहाग की दीर्घायु व बच्चों को विपदाओं से दूर रखने के लिए मा दुर्गा के 108 रूपों में से एक मां विपत्तारिणी की पूजा- अर्चना करती हैं. बंगाली समाज की महिलाओं द्वारा विशेष तौर पर श्रद्धापूर्वक मां विपदतारिणी हर साल रथ यात्रा के बाद मंगलवार व शनिवार को पूजी जाती हैं. इस दौरान मंदिरों में पुजारी द्वारा मां विपदतारिणी की व्रत कथा भी सुनाई जाती है. इस दौरान मंदिर में मेला कमेटी के अध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी, उपाध्यक्ष छोटे लाल साहू मौजूद थे.
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