सरायकेला: लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद मंथन का दौर जारी है. एक एक बूथ और विधानसभा में पड़े वोट को लेकर हारे और जीते प्रत्याशी अपने स्तर से मंथन कर रहे हैं. सिंहभूम सीट को लेकर भी मंथन और विश्लेषण जारी है. इस सीट से इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी जोबा माझी की प्रचंड जीत हुई है. उन्होंने एनडीए की गीता कोड़ा को 1 लाख 68 हजार 702 मतों के भारी अंतर से पराजित किया है. जोबा मांझी को 5 लाख 20 हजार 164 मत प्राप्त हुए, जबकि गीता कोड़ा को 3 लाख 51 हजार 462 मत मिले. (इसमें पोस्टल बैलट भी शामिल है)
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सरायकेला को छोड़ सभी विधानसभा में गीता पर भारी जोबा
सरायकेला विधानसभा को छोड़ सभी विधानसभा में जोबा माझी को गीता कोड़ा की तुलना में बढ़त मिली है. आपको बता दें कि सरायकेला विधानसभा मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का विधानसभा है. यहां कुल 2 लाख 61 हजार 344 मत पड़े. इनमें 2 लाख 57 हजार 461 वैद्य वोट पड़े. वहीं 3 हजार 883 वोट नोटा को मिले. यहां के 8 मंडल के सभी 431 बूथों से गीता कोड़ा को 1 लाख 18 हजार 773 मत मिले, जबकि जोबा माझी को 98 हजार 488 मत मिले हैं. सरायकेला के अलावे किसी भी विधानसभा में गीता कोड़ा जोबा माझी से पीछे रहीं.
ऐसे में अहम सवाल ये है कि मुख्यमंत्री के गढ़ में गीता कोड़ा ने बढ़त हासिल किया, यानी कहीं न कहीं आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री को सतर्क रहना होगा. हालांकि इस सीट पर पिछले 20 सालों से सीएम चंपाई सोरेन अपराजित रहे हैं. प्रचंड मोदी लहर में भी उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल किया है; मगर झारखंड के इतिहास के पन्नो को यदि पलटा जाए तो आपको जानकर हैरानी होगी कि मुख्यमंत्री रहते जिसने भी विधानसभा चुनाव लड़ा है उसकी हार हुई है. इसमें अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन और रघुवर दास का नाम शामिल हैं. वैसे चंपाई के लिए इस मिथक को तोड़ना चुनौती होगा, मगर लोकसभा चुनाव में उनके विधानसभा से जो आंकड़े निकलकर सामने आए हैं वह कहीं न कहीं खतरे की घंटी है.
जेबीकेएसएस ने बिगड़ा समीकरण
सरायकेला विधानसभा सीट से बीजेपी थिंक टैंक यह कहकर तसल्ली दे सकती है कि उनके प्रत्याशी यानी गीता कोड़ा को यहां से 20 हजार 488 मतों की लीड मिली है, मगर उन्हें इसका भी ध्यान रखना होगा कि यदि जेबीकेएसएस समर्थित प्रत्याशी दामोदर सिंह हांसदा चुनावी मैदान में नहीं होते तो उनकी यह हसरत पूरी नहीं होती. दामोदर हांसदा को यहां से कुल 29 हजार 141 मत मिले हैं. इसमे झामुमो और बीजेपी दोनों के कुड़मी वोटर हैं जो किसी का भी समीकरण बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं. मतलब साफ है कि झामुमो और बीजेपी दोनों के लिए कुड़मी मतदाता अगले विधानसभा में अहम भूमिका निभा सकते हैं. वैसे गम्हरिया पूर्वी, राजनगर पूर्वी एवं पश्चिमी के अलावा सभी मंडलों में दामोदर हांसदा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.