सरायकेला/ Pramod Singh सरायकेला में सोमवार को पति के दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने व्रत रखते हुए वट वृक्ष के नीचे वट सावित्री की पूजा की. जानकारी हो कि जेष्ठ महीने के अमावस्या को महिलाएं अखंड सौभाग्य एवं परिवार की समृद्धि के लिए यह व्रत रखती है और वटवृक्ष की परिक्रमा कर धागा लपेट कर पूजा- अर्चना करती है. पूजा- अर्चना के दौरान महिलाएं सावित्री- सत्यवान की कथा सुनती है.


मान्यता है कि सावित्री की कथा सुनने से मनोरथ पूर्ण होता है और विपदा दूर होती है. पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन दान के लिए पूजा- अर्चना कर यमराज से अपने अपने पति के लंबी उम्र का वरदान प्राप्त किया था. यमराज के वरदान से वट वृक्ष के नीचे पड़े सत्यवान के मृत शरीर में जीव का संचार हुआ था. इसी को लेकर यह परंपरा आज भी चली आ रही है और महिलाएं अपने पति की लंबी आयु एवं सौभाग्यवती बने रहने के लिए वट सावित्री की पूजा करती है. वट सावित्री व्रत में बरगद पेड़ की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष में सभी देवी- देवताओं का वास होता है. इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्यव की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है. सरायकेला माजना घाट के समीप स्थित वट वृक्ष में वर्ती महिलाओं की संख्या अधिक देखी गई.
