सरायकेला: क्षेत्र के प्रसिद्ध वार्षिक वांदना पर्व के तीसरे दिन पर परंपरागत गोरु खूंटा का आयोजन किया गया. जिसमें पशुपालकों द्वारा विधि विधान के साथ गौहाल में अपने पशुओं की पूजा अर्चना करते हुए सींग पर तेल और सिंदूर लगाया गया. जिसके बाद बैलों का चुमावन करते हुए पीठा पकवान खिलाकर आरती उतारी गई. इसके पश्चात देर दोपहर बाद बैलों को घर के सामने मुख्य सड़क के बीचो- बीच खूंटा गाड़ कर बांधा गया. इस दौरान गांव के युवकों की मंडली द्वारा ग्राम क्षेत्र का भ्रमण करते हुए सड़क मार्ग पर खूंटे से बांधे गए बैलों को भड़काते हुए मांदर की थाप पर नचाया गया. इस अवसर पर सभी ग्रामीण जन एक साथ मौजूद रहे. मान्यता रही है कि गोरु खूंटा के अवसर पर जिस पशुपालक का बैल अत्यधिक भड़कता है, उस पशुपालक का वार्षिक कृषि कार्य अच्छा होता है.
हालांकि बीते कोरोना काल को देखते हुए ऐसे परंपरागत आयोजन में शिथिलता आई बताई जा रही है. साथ ही वर्तमान के समय में सभी गांव में पक्की सड़कें या पीसीसी रोड बन जाने के कारण गोरु खुंटा जैसा परंपरागत त्यौहार प्रभावित हुआ बताया जा रहा है. जिसमें गांव क्षेत्रों में मुख्य सड़क मार्ग के बीचो-बीच खूंटा गाड़ने की समस्या को देखते हुए गांव में कम गोरु खुटा होते देखे जा रहे हैं. वहीं गांव के बुजुर्ग जन बताते हैं कि इस परंपरागत त्यौहार को आने वाली पीढ़ी को लेकर मूल रूप में बनाए रखने के लिए संरक्षण और वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए.
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