सरायकेला: सरायकेला में शुक्रवार को काफी हर्षोल्लास के साथ उत्कल दिवस मनाया गया और उन महान पुरुषों को याद किया, जिनके अथक प्रयास से 1936 में उत्कल राज्य का गठन हुआ.
उत्कल दिवस के मौके पर सरायकेला नगर पंचायत की अध्यक्ष मीनाक्षी पट्टनायक व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने वार्ड पार्षदों के साथ नगर के गोपबंधु चौक पर स्थित उत्कल मणी पंडित गोपबंधु दास की प्रतिमा पर माध्यार्पण किया. साथ ही उत्कलीय महापुरुष उत्कल गौरव मधुसुदन दास, राधानाथ राय, महाराजा कृष्ण चंद्र गजपति, पंडित नीलकंठ दास, फकीर मोहन सेनापति व गंगाधर महेर आदि को याद किया गया. नगर पंचायत की अध्यक्षा मीनाक्षी पट्टनायक ने कहा, कि आज ही के दिन 1936 में उत्कल गौरव मधु सुधन दास के नेतृत्व में ओड़िशा को एक स्वतंत्र अलग राज्य बनाने के लिए चलाए गए आंदोलन के सामने ब्रिटिश हुकूमत ने घुटने टेका और अलग राज्य की मांग मान का मानने पर मजबूर हुए. मीनाक्षी पट्टनायक ने कहा कि भारत के सबसे प्रचीन राज्यों में से एक उड़ीसा आज उत्कल दिवस मना रहा है. उन्होंने कहा कि उड़ीसा की स्थापना को आज 85 वर्ष पूरे हो चुके हैं. अजादी के पहले एक अप्रैल 1936 को ओड़िशा एक राज्य के रुप में उभरा था. नपं अध्यक्षा ने कहा कि एक अप्रैल 1936 को ब्रटिश कालीन भारत में ओड़शा जिसे पहले कलिंग व उड़िसा के रुप में जाना जाता था, एक राज्य के रुप में शामिल हुआ था. 1568 में ओड़िशा के आखरी राजा मुकुंद देव की हार और उनके निधन के बाद कलिंग राज्य को लोग भूल गए थे. इस दौरान उड़ीसा को एक राज्य के रुप में उभारने के लिए बहुत सारे क्रांतिकारी एवं बलिदानियों ने आवाज उठाई. मीनाक्षी पट्टनायक ने कहा कि सम्राट अशोक के लिए कलिंग राज्य कापी महत्वपूर्ण रहा. परंतु कलिंग पर सम्राट अशेक ने अधिक समय तक राज नहीं किया था. इसके बाद कई सालों तक मौर्य साम्राज्य का वर्चस्व रहा. इसके बाद धीरे- धीरे कलिंग साम्राज्य का पतन हुआ. इस दौरान कई हिंदू राजवंश ओड़शा में उभरे और उन्होंने भुवनेश्वर, पूरी व कोणार्क जैसे स्थानों पर भव्य मंदिरों का निर्माण किया. इस बीच लंबे समय तक मुसलमानों के प्रतिरोध के चलते 1568 में अफगानों ने हमला कर मुगलों को खदेड़ दिया. इसी साल कलिंग का आखरी राजा मुकुंद देव मारे गए. मुसलमानों के भागने के बाद नवाबों एवं मराठों के बीच ओड़शा दो भाग में बंट गया. 1803 में ब्रिटिश हुकूमत ने उड़िसा पर कब्जा कर लिया. उड़िसा को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए उत्कल गुरबा मधु सुदन दास, उत्कलमणि गोपालबंधु दास, फकीर मोहन सेनापति समेत कई दिग्गज नेताओं एवं क्रांतिकारियों ने आवाज उठाई थी. उत्कल दिवस के मौके पर सरायकेला में जश्न मनाया गया और लड्डू का वितरण किया गया. इस मौके पर जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव देवाशीष ज्योतिषी, पाठागार के उपाध्यक्ष सुदीप पटनायक, महासचिव जलेश कवि, खेल सचिव भोला महांती, सह सचिव पवन कवि छऊ गुरु शुशांत महापात्र, वरीय कलाकार रजत पटनायक, काशीनाथ साहू, दयाशंकर सारंगी, बद्री दरोगा, चिरंजीवी महापात्रा, काशीनाथ कर, मणि ज्योतिषी सहित काफी संख्या के ओड़िया भाषा- भाषी लोग उपस्थित थे.