सरायकेला: जिले की सड़कों पर सुरक्षित यात्रा को लेकर गठित जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति की भूमिका कागजों तक ही सीमित होकर रह गई है. समिति की बैठकों में पारित प्रस्ताव बैठक के बाद फाइलों में कैद होकर रह जाते हैं, दुबारा अगली बैठक में ही खुलते हैं. इस बीच न तो बैठक में लिए गए निर्णय पर काम होता है ना ही इसमें कोई गंभीरता नजर आती है. नतीजतन हर दिन लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं.
यहां हम बात कर रहे हैं टाटा- कांड्रा मुख्य मार्ग के सर्विस रोड के किनारे स्थित अलग- अलग कंपनियों के शोरूम की. जिनका दायरा कागजों पर सीमित है, मगर जमीन पर उन्होंने सर्विस रोड को अपने दायरे में ले लिया है, जिससे सर्विस रोड पर चलने वाले छोटे वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस पर ना तो कभी सड़क सुरक्षा समिति की नजर पड़ती है, ना ही परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस का. सवाल यह उठता है कि इन्हें रोके कौन ! मजबूरन छोटे वाहन चालक मुख्य सड़क पर चलने को विवश होते हैं. जहां कभी- कभी वे सरपट दौड़ती तेज रफ्तार गाड़ियों की चपेट में आकर दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं.
ये तो वही बात हो गई कि रोड टैक्स भरें छोटे वाहन चालक, टोल टैक्स भी दे छोटे वाहन चालक और उनके लिए बने सर्विस रोड पर कहीं शोरूम संचालकों का कब्जा, तो कहीं फुटपाथी दुकानदारों का तो कहीं ट्रांसपोर्टरों का. ऐसे में सवाल ये उठता है कि किस काम का सड़क सुरक्षा समिति और किस काम का परिवहन विभाग. हैरान करने वाली बात ये भी है कि सूबे के परिवहन मंत्री के गृह जिले का ये हाल है.
Reporter for Industrial Area Adityapur