सरायकेला (Pramod Sigh) बीते दो सितंबर को कुचाई थाना अंतर्गत दलभंगा ओपी के बारुदा के जंगलों में हुए पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में मारे गए पुरुष नक्सली खूंटी निवासी काली मुंडा के परिजन सोमवार को शव अपने साथ ले गए. शव लेने काली के पिता दो छोटे भाई और बहनोई सरायकेला सदर अस्पताल पहुंचे थे.
15 साल की उम्र में ही बेटे ने घर छोड़ दिया था: सोनू पाहन
सब लेने पहुंचे काली मुंडा के पिता सोनू पाहन ने बताया कि 15 साल पूर्व पढ़ाई के दौरान ही काली घर से भाग गया था, और संगठन में शामिल हो गया था. दुबारा घर नहीं लौटा था.
कैसे हुई जानकारी
पिता ने बताया कि मुठभेड़ में मारे जाने के बाद पता चला कि काली नक्सली बन गया था. उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा उसके मौत की सूचना पर जानकारी मिली, कि वह नक्सली संगठन में शामिल हुआ था और उसकी मौत हो गयी है. मौत की सूचना पर सरायकेला पहुंच कर शव की पहचान की.
उसके पिता ने बताया कि काली तीन भाई व एक बहन में सबसे बड़ा था. दोनों छोटे भाई पांडा पाहन व एक अन्य मजदूरी करके परिवार के जीवन यापन में सहयोग कर रहे हैं.
क्या है घटना
बीते शुक्रवार 2 सितंबर की अहले सुबह सरायकेला जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर कुचाई थाना क्षेत्र के सीमावर्ती गांव कोईया जंगल के बारूदा व सारुबेडा गांव के पास सर्च अभियान के दौरान नक्सली व सुरक्षा बलों के जवानों के बीच मुठभेड़ हुई थी. करीब एक घंटे तक चले इस भीषण मुठभेड़ में दो नक्सली ढेर हो गए थे. मारे गये नक्सलियों में खूंटी थाना क्षेत्र निवासी काली मुंडा एवं बोकारो निवासी महिला नक्सली रीला माला शामिल थी. दोनों अनल दा दस्ते से जुड़े हुए थे.
सुने क्या कहा पिता सोनू पाहन ने