एशिया की दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्रियल एरिया झारखंड के सरायकेला जिले में है. यहां आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया के अलावे जिले के अन्य इलाकों में भी कई छोटी-बड़ी कंपनियां मौजूद हैं. इनमें से कई कंपनियां ऐसे हैं जो कमा तो सरायकेला खरसावां जिले से रहे हैं लेकिन सीएसआर एक्टिविटी कहीं और कर रहे हैं.
वैसे जिले के उपायुक्त ने पिछले दिनों जिले के उद्यमियों से बैठक कर सीएसआर गतिविधियों की जानकारी मांगी है. हालांकि अब तक उद्यमियों द्वारा सीएसआर से सम्बंधित गतिविधियों से सम्बंधित डाटा जिला प्रशासन को उपलब्ध नहीं कराया गया है.
विदित रहे कि वैसे संस्थान जिनका 500 करोड़ का नेटवर्क हो और सालाना टर्नओवर एक हजार करोड़ के साथ पांच करोड़ का मुनाफा हो उन्हें सीएसआर के मद में क्षेत्र में 2 फीसदी मुनाफे से खर्च करना अनिवार्य है.
वैसे 21 वीं सदी के महाराज उद्यमी कहे जाते हैं. सत्ता बनाने से बिगाड़ने तक की चाबी उन्हीं के हाथों में होती हैं. उनके मिर्जा (संस्थान) की कहानी बड़ी अजीब हैं. जो कमाते कहीं और से हैं (होली) खर्च कहीं और कर रहे हैं.
उद्योग नगरी सरायकेला जिले में टाटा स्टील लॉग प्रोडक्ट, टाटा ग्रोथ शॉप, रामकृष्णा फोर्जिंग लिमिटेड, श्री सीमेंट, आरएसबी, एसआर रूंगटा, वरुण बेवरेज, मेटालसा, स्टील स्ट्रिप, जैसी कंपनियों की गतिविधियां संचालित हो रही हैं और इनका स्टैब्लिशमेंट पांच सौ करोड़ से अधिक होने के साथ सालाना टर्नओवर एक हजार करोड़ का है. ऐसे में पांच करोड़ सालाना प्रॉफिट नहीं हो ये संभव नहीं.
आइये जानें इन कंपनियों द्वारा सीएसआर के तहत कहां खर्च किए जा रहे हैं
टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट्स (उषा मार्टिन)
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उषा मार्टिन का अधिग्रहण करने के बाद टाटा स्टील के अधिकार क्षेत्र में आयी टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट्स अपने सीएसआर के तहत फंड ओडिसा के जोडा और बड़बिल में खर्च करती है. जिले में गतिविधि शून्य है.
टाटा स्टील ग्रोथ शॉप (टायो)
टायो का अधिग्रहण करने के बाद फिलहाल टीजीएस घाटे में है या प्रॉफिट में यह पता नहीं चल सका है, लेकिन जिले में इस कंपनी द्वारा सीएसआर के तहत कोई गतिविधि नहीं संचालित हो रही है.
वरुण वेबरेज (पेप्सिको)
शीतल पेय बनानेवाली पेप्सी भी जिले में सीएसआर के तहत किसी तरह की गतिविधियों का संचालन नहीं कर रही है, जबकि सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनियों में यह कंपनी शुमार है.
रामाकृष्णा फोर्जिंग लिमिटेड (आरकेएफएल)
जिले की सबसे बड़ी औद्योगिक श्रृंखला रामाकृष्णा फोर्जिंग लिमिटेड की है. आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया से लेकर कोलाबीरा और दुगनी तक इसका साम्राज्य फैला हुआ है, लेकिन सीएसआर के तहत गतिविधियां उक्त कंपनी द्वारा पड़ोसी जिला जमशेदपुर एवं राजधानी रांची में संचालित किया जाता है. जिले में इसकी भूमिका शून्य है.
एसआर रूंगटा ग्रुप
पश्चिमी सिंहभूम जिले का सबसे बड़ा माइनिंग कारोबारी एसआर रूंगटा ग्रुप को माना जाता है. इस ग्रुप का कारोबार राजनगर के रुगडी में भी होता है, लेकिन सीएसआर गतिविधियां ग्रुप द्वारा पश्चिमी सिंहभूम जिले में संचालित की जाती है. जिले में ग्रुप के सीएसआर की भूमिका शून्य है.
श्री सीमेंट
खरसावां में स्थित श्री सीमेंट की भी यही स्थिति है. हालांकि जिला प्रशासन को उक्त कंपनी द्वारा कुछ डेटा उपलब्ध कराए गए हैं. हालांकि हमारे पास पुख्ता प्रमाण नहीं हैं. ऐसे में हम दावा नहीं कर सकते मगर कभी उक्त कंपनी को सीएसआर के तहत जिले में किसी प्रकार की गतिविधियां संचालित करते नहीं देखा गया है.
हालांकि एक अधिकारी ने बताया कि कंपनियों के पास सीएसआर के फंड को खर्च करने का अपना अधिकार होता है. कई कंपनियों द्वारा इंटरनल खर्च कर उसे सीएसआर में दिखाया जाता है. हालांकि प्रशासन के पास इसकी जानकारी होनी चाहिए जो नहीं है. वैसे पिछले दिनों आदित्यपुर ऑटो क्लस्टर में हुए उद्यमियों संग हुए जिले के उपायुक्त के साथ बैठक से उम्मीद जगी है कि जिले में संचालित हो रहे कंपनियों के सीएसआर रिपोर्ट जल्द ही उपलब्ध होगा और पता चल सकेगा, कि जिला में संचालित होनेवाली कंपनियों द्वारा सीएसआर फंड के तहत जिले में क्या-क्या खर्च किए जा रहे हैं.
जिला मुख्यालय सूत्र बताते हैं, कि जिले के दो- तीन बड़े अधिकारी जिले में संचालित हो रहे कंपनियों के पदाधिकारियों के सीधा संपर्क में हैं और सीएसआर फंड का बंदरबांट आपस में कर रहे हैं. जिसकी जानकारी जिले के उपायुक्त को नहीं है. इनमें से एक गैर प्रशासनिक पदाधिकारी भी शामिल है, जिनके जिम्मे बेहद ही प्रमुख विभाग है.
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