विपिन वार्ष्णेय की रिपोर्ट
सरायकेला: राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन की सख्ती के बाद सरायकेला- खरसावां जिले में बालू की आपूर्ति पिछले एक माह से पूरी तरह बंद हो गई है. झारखंड खनिज विकास निगम से बालू का चालान नहीं जारी होने से स्टॉक में रखे बालू की भी आपूर्ति पूरी तरह बाधित है. ऐसे में सभी प्रकार के निर्माण कार्य एवं विकास योजनाएं ठप्प पड़ गई हैं.
इनमें दिहाड़ी मजदूर के रुप में काम कर अपने परिवार की रोजी-रोटी चलाने वाले मजदूरों के सामने दो जून की रोटी का जुगाड़ बैठा पाना मुश्किल हो गया है. सभी तरह के कंस्ट्रक्शन के कार्य बंद होने से अब उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं. मजदूर प्रतिदिन हाथ में टिफिन लेकर ससमय घर से तो निकलते हैं, लेकिन कुछ ही देर बाद मायूस होकर वापस अपने घर बैरंग लौट आते हैं. पूछने पर कांड्रा पालुबेड़ा ग्राम निवासी पेशे से मिस्त्री का काम करने वाले बीनू राम सोरेन ने बताया कि उनके जैसे कई लोगों को पिछले 2 माह से रोजगार नहीं मिल रहा है. जो भी जमा पूंजी थे वह अब पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं और दुकानदारों ने भी कर्ज देना बंद कर दिया है.
प्रतिदिन इस आशा में वह बाहर निकलते हैं कि आज उन्हें रोजगार मिल जाएगा, लेकिन बालू की कमी ने उनके और उनके परिवार वालों के मुंह से निवाला छीन लिया है. निजी भवन निर्माण में महिला दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने वाली सुहागी, प्रमिला, गुरुवारी, सोनामनी, सोमवारी जैसी कई महिला मजदूर पिछले 2 माह से रोजगार की तलाश में इधर- उधर भटक रही हैं. लेकिन बालू की आपूर्ति बंद होने से उन्हें पूरी तरह से बेरोजगार कर दिया है. हाल के दिनों में भवन निर्माण सामग्री सीमेंट, सरिया आदि के दामों में आई गिरावट के बाद निर्माण कार्य से जुड़े कारोबार में वृद्धि की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन बालू की कमी ने सभी संभावनाओं पर पानी फेर दिया है. भवन निर्माण सामग्री के विक्रेताओं के सामने भी विषम परिस्थिति उत्पन्न हो गई है. बालू ने सभी कंस्ट्रक्शन साइट को पूरी तरह बंद कर दिया है. ऐसे में उनके यहां भी ग्राहकों के लाले पड़ गए हैं.
भवन निर्माण से जुड़े व्यवसायिक वाहन भी पिछले 2 महीनों से खड़े हैं. टाटा- रांची मार्ग पर नेशनल हाईवे के किनारे सैकड़ों हाईवा और ट्रैक्टर काम के अभाव में खड़े हैं. इनमें काम कर अपनी रोजी- रोटी चलाने वाले मजदूर भी पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं. जानकारों की मानें तो अवैध बालू के धंधे पर अंकुश लगाने से सरकार के राजस्व में वृद्धि अवश्य होगी, लेकिन बिना किसी पूर्व योजना के बालू की आपूर्ति पूरी तरह बंद कर देने से हजारों लोगों के सामने रोजी- रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे में शीघ्र ही कोई बीच का रास्ता नहीं निकाला गया तो इन दिहाड़ी मजदूरों को अपने परिवार का पेट भरने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी. बालू माफियाओं के अवैध धंधे और अवैध कमाई का खामियाजा अब निचले तबके के लोगों को उठाना पड़ रहा है.