सरायकेला : सरायकेला खरसावां जिले का सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था दिन प्रतिदिन लचर होती जा रही है. करोड़ों की लागत से लगा लिफ्ट, सेंट्रलाइज ऑक्सीजन व आई सी यू वार्ड मरीजों के लिए हाथी दांत साबित हो रहे है. सुविधाओं को बावजूद यहां मरीजों का इलाज सही से नहीं हो पा रहा है. इसी लापरवाही से नाराज होकर आये दिन मरीज सड़को पर उतर आते हैं. उक्त बातें सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सह सरायकेला विधानसभा के संयोजक मनोज कुमार चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा. उन्होंने कहा कि जिले का सदर अस्पताल ईलाज के मामले में रेफरल अस्पताल की भूमिका अदा कर रहा है सरायकेला सदर अस्पताल में आपातकालीन मरीज इलाज ना कर जमशेदपुर रेफर कर देते है.
सरकार द्वारा सदर अस्पताल में डायलीसिस, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, हड्डी, शिशु रोग, नेत्र रोग व प्रसुता को बेहतर ईलाज व सुविधाएं उपलब्ध है पर सुविधाएं हाथी का दांत साबित हो रही है जो मरीजों को मुंह चिढ़ा रही है. सदर अस्पताल के अधिकतर विभागों के डाक्टर और कर्मी नदारद मिलेंगे या ताला लटका मिलेगा. अस्पताल के ओपीडी सेवाओं का भी बुरा हाल है. अस्पताल में ओपीडी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन डॉक्टरों की कमी से परेशानी बढ़ रही है. अब स्थिति ऐसी है कि डॉक्टर सभी मरीज को देख भी नहीं पाते हैं. कई मरीज बैरंग ही लौट जाते हैं.
आये दिन इसको लेकर सदर अस्पताल से मरीजों को शिकायत मिलती है जिसपर सिविल सर्जन एवं उपाधिक्षक पर दबाव बनाया गया लेकिन समस्या जस की तस है. वहीं डॉक्टर की मनमानी से अक्सर विवाद होता रहा है. कई बार डॉक्टर के नहीं आने से गंभीर मरीजों की मौत की भी खबर मिलती है और हंगामा भी होता है. मनमाने ढंग से डॉक्टरों के सदर अस्पताल में आने की चर्चा आम हो चुकी है. उन्होंने सरकार से अस्पताल में आवश्यक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की मांग की है.