सरायकेला/ Pramod Singh सरायकेला के जगरनाथ मंदिर में भगवान जगरनाथ की रथयात्रा को लेकर जगरनाथ कमिटी की ओर से रथ का निर्माण कार्य बहुत जल्द शुरू कराया जाएगा. इस बार की रथ यात्रा को लेकर कमिटी की ओर से कुछ अलग करने का प्रयास किया जा रहा है.


अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर भगवान जगरनाथ के रथ का निर्माण कार्य का शुभारंभ किया जाएगा. चार की जगह आठ पहिए का बनेगा रथ
भगवान जगरनाथ की रथ यात्रा को लेकर कमिटी की ओर से हर वर्ष नए रथ का निर्माण करवाया जाता है. पहले चार पहिए वाले रथ का निर्माण होता था जिसपर भगवान जगन्नाथ अपने श्री मंदिर से भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ सवार होकर मौसीबाड़ी के लिए रवाना होते थे. किंतु इस वर्ष निर्मित होने वाले रथ में चार की जगह आठ पहिया लगाया जाएगा.
पूरी की तर्ज पर होगा रथ का निर्माण
भगवान जगरनाथ के रथ यात्रा के लिए इस वर्ष पूरी के तर्ज पर रथ का निर्माण करवाया जाएगा. रथ निर्माण साल और धोड़ा की लकड़ी से किया जाएगा. जिसमे 250 सीएफटी लकड़ी का उपयोग किया जाएगा. रथ की ऊंचाई 21.5 फीट रहेगी जबकि उसकी लंबाई 16 फीट और चौड़ाई 14 फीट रहेगा.
कोणार्क के कारीगर करेंगे रथ का निर्माण
भगवान जगरनाथ के रथ का निर्माण करने के लिए ओडिसा के कोणार्क शहर से कुशल कारीगरों को बुलाया जा रहा है. ये कारीगर भगवान के भव्य रथ का निर्माण करेंगे.
पुरी की तर्ज पर निकाली जाती है सरायकेला की रथयात्रा, साढे तीन सौ वर्षों पुरानी है परंपरा
यहां की रथ यात्रा करीब साढे तीन सौ साल पुरानी है. सरायकेला में प्रभु जगन्नाथ मंदिर के स्थापना के संबंध में कहा जाता है कि ओड़िशा के ढेंकानाल से महापात्र परिवार द्वारा प्रभु जगन्नाथ की प्रतिमा लाकर यहां स्थापना की गई थी. तभी से रथ यात्रा का आयोजन होता आ रहा है. सरायकेला में जगन्नाथ मंदिर के स्थापना के संबंध में कहा जाता है कि सरायकेला के राजा उदित नारायण सिंहदेव ने अपने शासन काल में यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया तथा रथ यात्रा उत्सव को पूरे क्षेत्र में एक अलग पहचान दी. यहां मंदिर के दीवारों में बनाये गये भगवान विष्णु के दस अवतारों की मूर्तियां किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेने में सक्षम है.
